0 ज़िंदगी का सार हो तुम मां Posted on November 21, 2020 by techi गुलाब की तरह हो तुम मां! मेरे मन मंदिर में महकती हो। ज़िंदगी का सार हो तुम मां! तुम्हीं दिल से मुझे समझती हो। ~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’ Share This Related posts: तुम्हीं मेरी ज़िंदगी हो ऐ प्रियतम ज़िंदगी का कारवां यूं ही चलता गया ज़िंदगी जीने का नया ढ़ंग होना चाहिए जिंदगी अब बदल गई प्रेरणादायक शायरी अनुभव पर प्यार के गीत गाते रहो | जोश और उमंग से भरी कविता प्यार की राहों पर चलना आ गया