0मेरी तौहीन न कर Posted on July 21, 2021 by techiमुझे मय्यसर समझ कर.. मेरी तौहीन ना कर… सितारे भी टूटते हैं… वस्ल-ए-ज़मी की चाहत में। – जूली जायसवाल “ज़न्नत” Share ThisRelated posts:तेरा मुझसे दूर जाना मेरी जान निकाल देता है समंदर तेरा, मेरी कश्तियां मेरी ज़िन्दगी हैं तू वीरान सड़क सी हैं ज़िन्दगी मेरी इन खुशियों को मेरी ही नजर ना लग जाये माँ तुझसे ये दुनिया मेरी, तुझसे ही जीवन, माँ पर कविता मेरी मजबूरी को समझो मैं गुनाहगार नहीं