0 अब तो मन भी रेगिस्तान जैसा Posted on December 6, 2020 by techi दिन कटता नहीं अब रात नहीं होती, तेरी मेरी कोई मुलाकात नहीं होती। अब तो मन भी रेगिस्तान जैसा है, खुशियों की अब बरसात नहीं होती। ~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’ Share This Related posts: तुम मेरी सरगम बनो और मैं संगीत आज उनसे फिर मुलाकात हुई ग़रीब के क़र्ज़ जैसा है राजपुताना इश्क़ मेरी मजबूरी को समझो मैं गुनाहगार नहीं बहुत रोता हैं ये दिल मेरा ज़िंदगी का कारवां यूं ही चलता गया आंसू दुःख के हैं और खुशियों के