Home » Submitted Posts » Page 6 इन नसीहतों में मज़ा क्या है, इन इनायतों में रखा क्या है,
जो मौलवी बने बैठे हैं यहाँ, इनसे पूँछों इन्होंने करा क्या है।
भले आदमी का निशान क्या है, असल नवाज़िश ए करम क्या है,
क्यों डरे भला क़यामत से इतना, दर्द से निजात नहीं तो मौत क्या है,
इन तालिमों की वजह क्या है, ए खुदा तेरी रज़ा क्या है,
हाँ मैं करता हूँ सवाल बोलो, इन ग्रंथों में मेरी सज़ा क्या है।
~ Shubham Jain
इंसानो का इंसानो से इंसानियत का वास्ता ही कुछ और है, हर एक इंसान का इस दुनिया में रास्ता ही कुछ और है,
मूर्खो से मूर्खो की बाते मूर्खो को समझ न आयी एक मुर्ख खुसिया के बोला क्या तू समझा मेरे भाई?
अन्धो से अन्धो का तो अजीब ही नाता है, हर अँधा दूसरे अंधे के नैनो की गहराही में खो जाता है !
ऐसे इस घमासान में बेहरे भी कुछ कम नहीं इतराते , समझे सुने मुमकिन नहीं पर गर्दन जरूर हिलाते।
गूंगे न जाने शब्दों से रिश्ता कैसे निभाते है, केवल होठों को मिटमिट्याते हुए कैसे वे बतियाते है?
कर से अपंग भी लालसा में झूल जाते है, हाय रे ये आलसी जानवर बिस्तर न छोड़ पाते है!
सयाने इतराते कहते लंगड़े घोड़े पर डाव नहीं लगाते, और दूसरे ही मौके पर दुसरो के तरक्की में रोड़ा अडकते।
किस्मत के मारो का तो क्या कहना, ये दिमाग से पैदल होते है, सामर्थ्यवान इस देश की उपज है मानो सारा कुछ यही सहते है।
इससे तो अच्छा सचमें इनके आँख, कान, जबान, पैर और हाथ न होते, दिमाग तो फिर भी ठीक था पर दिल को मन में संजोते,
ऐसे इस इंसान का फिर भी जग में उद्धार जरूर होता, इंसान फिर इंसानियत से कभी वास्ता न खोता।
~ Aashish Jain
पेशे से तो छात्र था.. अब Shayar हूँ तुम्हे समझ सकता इस Layak हूँ तुम्हारे लिए कितने ही झूठ बोले, ज़रा सोचो कितना बड़ा Liar हूँ पर तुम्हे समझ ना सका Don’t you think कितना Nalayak हूँ
~ Piyush kr. Singh
ज़िन्दगी ….!!!!!
यहां खुशियों का दरबार भी है, और दुःख का इज़हार भी….!
यहां मुस्कराहट का मौका भी है, और आंसुओं की वजह भी….!
यहां दिलों में जन्नत है, पर वक़्त के दरमियान जहन्नम भी….!!!
यहां मुस्कराहट का मौका भी है, और आंसुओं की वजह भी….!
ये है बड़ी प्यारी, पर लोगों के नज़र की मोहताज भी….!
की जिसके नज़रों को खूबसूरत लगे, उसके लिए जन्नत भी, मुस्कुराने की वजह भी…!
और जिसके नज़रों को बेदर्द लगे, उसके लिए जहन्नुम भी, आंसुओं की वजह भी…!
ये है ज़िन्दगी…….
~ अलीशा अहमद
Dosti hi ki thi… Toh nibhaya to hota, Dikhawa hi sahi… Par jataya to hota
~ Piyush kr. Singh
Rahta hun akela lagta hai kabhi kabhi FEAR.. Jab yaad aati apno ki, aankho me aate hai TEAR.. Mujhe jarurat hai kisi ki par koi nhi hai NEAR.. Ek baar to puch liya hota, kaise ho mere DEAR..
~ Piyush kr. Singh
किसी रोज़ हंसती थी वादियाँ, मेरे छोटे से गांव में, अब हर कोई शहर में बिक गया हैं, अपने अपने भाव में….
~ Sayquo (Sayali Shinde)
हौसले जवाब दे रहे हैं, हारके उन हालातों से, धीरे धीरे दूर हो रहा हूँ, अपने ही जज़्बातों से, अब तो टूट कर बिखरने की देरी हैं…. आजा संभाल ले, इन हाथों को उन हाथों से
~ Piyush kr. Singh
हर कोई उड़ सकता है यदि मनुष्य ठान ले। जो किताबों में लिख़ा है, ठीक से उसे मान ले। तमाम लोगों ने भी, हौंसलों से उड़ान भरी है। जिंदगी के कारवाँ में, अनुभवों से सब जान ले।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
“यह भाग्य है या, दुनिया का दस्तूर है। जो जिसको प्यारा है, वह उससे दूर है।”
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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