तेरे इकरार मे करार तो हो
झूठा सही मगर प्यार तो हो
तुम हो खुशनशीब माना मगर
खुशनशीबी का किसी को ऐतबार तो हो
झूठा सही मगर प्यार तो हो
~ Swami ganganiya
हाँ तो अब हम कुछ बदले बदले से हो गए हैं
उलझे से थे अब कुछ सुलझे से हो गए हैं
अब हम हँसतें हैं लोगो को हंसाने के लिए
अपना दिल-ए-हाल सब से छुपाने के लिए
अब हम अपने दिल का हाल उन्हें बताते नहीं हैं
हमे तकलीफ हो रही ये उनको बताते नहीं है
अब उन्हें परेशान कम किया करते हैं
वो हमे भूल जाये ये मौका भरपूर देते हैं
पर हम उनकी मुस्कान को भला कैसे भुलायेंगे
इस एक तरफा प्यार को भला अब किसे दिखाएंगे
प्यार वही है बस अब उनको बताते नहीं
पर सच तो यही है उनको हम भूल पाते नहीं
अब भी हम उनमे खोते जा रहे
वो हमारे नहीं पर हम उनके और भी ज्यादा होते जा रहे है
~ Dhananjay Verma
हर रोज अगर चाँद नजर आने लग जाएँ |
जितने रोजेदार हैं सब ईद मनाने लग जाएँ |
हम अपने दीयों को बुझाना पसंद करेंगे,
आप जैसी आंधियां गर उसको बुझाने लग जाएँ |
तेरी एक झलक मिल जाए अगर हमको,
हम तो हर शाम छत पर आने लग जाएँ |
खुदा करे उस दिन जल्द सुबह न हो,
जिस रात वो मेरे ख्वाब में आने लग जाएँ |
फिर तो मयखाने जाने की जरूरत न पड़े,
गर आप अपनी नजरों से पिलाने लग जाएँ |
खुदा कसम तुम तब याद आते हो बहोत,
जब कभी हम तुमको भुलाने लग जाएँ |
यूँ तो आसान बहुत है शायर होना,
पर एक शेर कहने में तुमको जमाने लग जाएँ |
~ अब्दुल रहमान अंसारी (रहमान काका)