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ज़िन्दगी की कदर करो

इतनी सी है जिंदगी कदर कर प्यारे
कल तो सबको जाना ही है सब्र कर प्यारे
दो पल की है जिंदगी जी तो ले पहले
वहीं मोड पे जाना है गुजर कर प्यारे

 

~ शालू बनकर

 

 

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एक नज़र भी ना देखें वो मेरी तरफ़

हाल अपना सुनाएं हम कैसे उन्हें,
वो तो ग़ैरों की महफ़िल में रमे जा रहे।
एक नज़र भी ना देखें वो मेरी तरफ़,
बेरुखी से हम उनकी मरे जा रहे।।

 

~ महेश ओझा (Mahesh Ojha)

 

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Deep Hindi Status about Dreams

ये रस्ते इतने आसान भी नहीं है…..,
घर की तितलियों को छोड़ना पड़ता है
इन ख्वाबो के परिंदों के पीछे भागते भागते

 

~ Ashish Singh

 

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दोस्ती में गुस्से में भी प्यार

दोस्ती….
कभी-कभी तू मुझमे उलझ-सी जाती है
कभी – कभी तू गुस्सा हो जाती है
पर तुझमे उलझ कर ही तो….
मैं सुलझी हू तेरे गुस्से मे भी प्यार है
ऐ! दोस्त तेरे ऐसे एहसानो की भरमार है
तभी तो मेरे जीवन मे खुशीयो की बहार है।

 

– Anjali Kachhwaha

 

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कहीं अंधेरा, कहीं उजाला

कहीं अंधेरा, कहीं उजाला
कहीं धुप, कहीं छांव हैं।
कहीं अमीरी तो कहीं नंगे पांव हैं।

इस सृष्टि का खेल अनजाना,
कहीं रूठना तो कहीं मनाना,
कहीं हँसना तो कहीं हंसाना।

चली आ रही सदा से ये रीत,
कहीं शिक्षा सही तो कहीं गलत सीख।

खुशियाँ हैं अपार कहीं,
तो कहीं गमों की झार हैं।
यही तो संसार हैं,
यही तो संसार हैं।

 

~ Yograj Jangir Bagora

 

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अब हम कुछ बदले बदले से हो गए

हाँ तो अब हम कुछ बदले बदले से हो गए हैं
उलझे से थे अब कुछ सुलझे से हो गए हैं

अब हम हँसतें हैं लोगो को हंसाने के लिए
अपना दिल-ए-हाल सब से छुपाने के लिए

अब हम अपने दिल का हाल उन्हें बताते नहीं हैं
हमे तकलीफ हो रही ये उनको बताते नहीं है

अब उन्हें परेशान कम किया करते हैं
वो हमे भूल जाये ये मौका भरपूर देते हैं

पर हम उनकी मुस्कान को भला कैसे भुलायेंगे
इस एक तरफा प्यार को भला अब किसे दिखाएंगे

प्यार वही है बस अब उनको बताते नहीं
पर सच तो यही है उनको हम भूल पाते नहीं

अब भी हम उनमे खोते जा रहे
वो हमारे नहीं पर हम उनके और भी ज्यादा होते जा रहे है

 

~ Dhananjay Verma

 

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तेरी एक झलक मिल जाए अगर

हर रोज अगर चाँद नजर आने लग जाएँ |
जितने रोजेदार हैं सब ईद मनाने लग जाएँ |

हम अपने दीयों को बुझाना पसंद करेंगे,
आप जैसी आंधियां गर उसको बुझाने लग जाएँ |

तेरी एक झलक मिल जाए अगर हमको,
हम तो हर शाम छत पर आने लग जाएँ |

खुदा करे उस दिन जल्द सुबह न हो,
जिस रात वो मेरे ख्वाब में आने लग जाएँ |

फिर तो मयखाने जाने की जरूरत न पड़े,
गर आप अपनी नजरों से पिलाने लग जाएँ |

खुदा कसम तुम तब याद आते हो बहोत,
जब कभी हम तुमको भुलाने लग जाएँ |

यूँ तो आसान बहुत है शायर होना,
पर एक शेर कहने में तुमको जमाने लग जाएँ |

 

~ अब्दुल रहमान अंसारी (रहमान काका)

 

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