गिराया जिसे अपनों ने वो उठकर फिर क्या करता
परायों से जो लड़ा नहीं वो अपनों से क्या लड़ता
~ अतुल शर्मा
Giraya jise apno ne Wo uthkar fir kya karta
Parayo se jo lada nahi Wo Apno se kya ladta
~ Atul Sharma
Home » Submitted Posts » Page 3 ज़िन्दगी से पहले, ज़िन्दगी के बाद, ये ख़्वाइश हैं मेरी, तुझसे दूर कैसे जाऊ, जब तेरे ही पास हूँ ~ अदिति सिंह Zindagi se pehle, Zindagi ke baad, Ye khwahish h meri, Tujhse door kaise jaau, jab tere hi pass hoon ~ Aditi Singh बहुत दिन हो गए देखते देखते नादान था मैं…. नहीं था अंदाज़ा ज़माने के रीति रिवाज़ो का फर्क नहीं पड़ा मुझपे दूसरों की बद्दुआओं का ~ अतुल शर्मा Bahut din ho gaye, dekhte dekhte, Nahi tha andaja jamane ke reeti rivazo kaa… Fark ni pda mujhpe doosron ki badduao ka, ~ Atul Sharma पापा मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ। आपसे बहुत कुछ कहना चाहती हूँ.. पापा मैं आपसे सब सीखना चाहती हूँ ‘BE STRONG ‘पापा है ना न आप की बात बुरी लगती है पापा मैं आप से एक बात कहना चाहती हूँ। मैं आप को आवाज़ लगाना चाहती हूँ। हाँ, मैं कभी नही बताती.. पापा मैं आप से कुछ कहना चाहती हूँ….! ~ Anushthi Singh जैसा की हम सभी को पता हैं, हाथरस वाले केस में जो भी हुआ वो मानवता की, इंसानियत की हत्या है| इस देश में एक बेटी, एक औरत के लिए रहना कितना मुश्किल होने लगा है| अगर हम आज भी आवाज़ नहीं उठा पाएंगे या अपने आप के अंदर बसे हैवान को नहीं मार पाएंगे तो कल को ये हादसा किसी अपने के साथ भी हो सकता है, इसलिए हम सभी को इसके खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए, और इस तरह हो रहे अंन्याय पर न्याय की मांग करनी होगी | बचपन से ही लोगो ने समझाया … मां ने बोला दुपट्टा फैला के रखना , बचपन से ही हर किसी का था यही कहना,, एक दिन बाहर गई …. बस उस वक्त पापा की इज्जत सामने आ खड़ी थी।। लड़ी उस दम तक, जब तक पापा की इज्जत बचा सकती थी, हड्डी तोड़े, पैर तोड़े इस दरिन्दगी को दुनिया से कौन कहेगा?? ना मुझे Candle March चाहिए, ~ Shikha upadhyay जब रंग मोहब्बत का चढ़ता है, -आयुष्मान पांडेय काले गरजते बादलों को धुआँ समझा हैं गिले शिकवे की मुराद हैं उन्हें हमसे भरा दिल तोड़े कोई और वजह कोई कई आए इस जलती शमा को बुझाने ~ Kshitij Muktikar इन नसीहतों में मज़ा क्या है, जो मौलवी बने बैठे हैं यहाँ, भले आदमी का निशान क्या है, क्यों डरे भला क़यामत से इतना, इन तालिमों की वजह क्या है, हाँ मैं करता हूँ सवाल बोलो, ~ Shubham Jain Submitted Posts
गिराया जिसे अपनों ने
सातों जन्म सिर्फ तेरे नाम
तुझे चाहना बस अब मेरा काम,
इस जन्म में तेरे नहीं हुए तो क्या हुआ?
अगले सातों जन्म सिर्फ तेरे नाम
अब तुझसे दूर हूँ, या तेरे पास हूँ,
तेरे लबों पे में बस एक मुस्कान हूँ,
तेरे आँखों से बहते हर एक आंसूं का जवाब हूँ
तेरे दिल के दरिया में, मैं बस एक बहती प्यास हूँ
Tujhe chahna bass ab mera kaam.
Es janam me tere nhi hue to kya hua?
Agle sathoon janam tere naam
Ab tujhse dur hu, Ya tere pass hu,
Tere labon pe mein bas ek muskan hu,
Tere aankhon se behte harr ek aason ka jawab hu,
Tere dil ke dariya me, main bas ek behti pyas huमां के बिना कैसी जीवन की डगर
अपनों ने ही किया क़त्ल मेरी इच्छाओं का
अब मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ,
वक़्त ने संघर्ष से सिखाया रुख परखना हवाओं का
अपनों ने ही किया क़त्ल मेरी इच्छाओं का
Ab Main bhi kuch kahna chahta hu,
Naadan tha main…
Waqt ne struggle se sikhaya rukh parakhna hawao ka..
Apno ne hi kiya qatl meri icchao ka….पापा मैं आप से कुछ कहना चाहती हूँ
पापा मैं आपके साथ बैठना चाहती हूँ.
अपने दर्द बयाँ कर रोना चाहती हूँ।
जब भी दिल घबराता है..
आप को ही याद करती हूँ..
ये ख्याल आते ही शांत हो जाती हूँ।
न मैं आपसे लड़ना चाहती हूँ।
मैं कई बार अकेली सी पड़ जाती हूँ..
पापा मैं आप को बहुत चाहती हूँ
मगर मैं आप के जैसा बनना चाहती हूँ।देश की बेटी हूँ, मुझे अब बस न्याय चाहिए
हाथरस वाली बेटी, या देश में जितने भी ये घिनोने काम हुए है और हो रहे है, उन सभी बेटी की आत्मा, उनका मन, उनकी रूह सिर्फ और सिर्फ यही कह रहा होगा जो हम इस कविता में प्रस्तुत कर रहे है, इसे जरूर पड़े और लोगो से जरूर शेयर करे ताकि हम इस कविता के द्वारा ज्यादा से ज्यादा लोगो को समझा पाए की एक औरत की राह कितनी मुश्किल है, जहाँ एक तरह बेटियों को बेटो की बराबर जगह देने की बात होती हैं और दूसरी और ये दरिंदगी |न्याय की मांग में एक बेटी पर कविता
पापा की इज्जत हूं,
बचा के रखना हर किसी ने बतलाया ,
हर शौक को खत्म कर मैंने,
सूट और 2 मीटर का दुप्पटे को अपनाया ,
बचपन से ही लोगो ने समझाया….
लड़के कुछ भी बोले,
लेकिन तुम कभी कुछ ना कहना ,
क्योंकि तुम बेटी हो,
तुम्हे तो ज़िन्दगी भर है सहना ,
बेटी हो बच के रहना ।
मैंने मां की बातो को ज़िन्दगी में उतार लिया ,
बड़ी सी कमीज़,
और तन को ढकने का पायजामा सिला लिया ,
देर रात तक बाहर ना रहना,
पापा की इज्जत हो ,
इन सब बातो को,
हर किसी ने मेरे सुबह का नाश्ता बना दिया ,
चाय में शक्कर के साथ इन बातो को भी मिला दिया ।।
फैलाकर दुपट्टा, बालों की सीधी चोटी,
क्योंकि मा ने बोला था
jeans, top, hairstyles ऐसी लडकिया safe नहीं होती ,
आगे बढी तो एहसास हुआ …
कोई मेरे पीछे हैं, मन घबराया, दिल जोर से चिल्लाया ,
लेकिन माँ की बाते याद आ गयी ,,,,
सूट, सलवार, सीधी चोटी,..और मैं लड़की ……
मुझे चिल्लाने का तो हक ही नहीं था ,
मेरे कदम रुक से गए थे..
मेरी साँस थम् सी गई थी,
ना रात थी , ना jeans था ….
यूँ दबोच मुझें नीचे गिराया , चिल्लाती भी तो कैसे??
माँ ने कभी चिल्लाना नहीं सिखाया ,
रुयी चिल्लायी कोई सुनने वाला नहीं था ,
मेरे जिस्म की नुमाईश, कोई ढकने वाला नहीं था ।।
रोई गिड़गिड़ायी जब जब माँ की बाते याद आती थी,
हैवानियत जब हद से पार हो गई,
उस वक़्त मैं खुद से भी हार गई।।
जीना चाहती थी, बोलना चाहती थी,
अपने माँ के अंगना फिर से खेलना चाहती थी।।
बोलूँ भी तो किससे?? कौन मेरी बाते सुनेगा?
जीभ कटी मेरी, कौन मेरी आवाज़ बनेगा????
मेरे चरित्र पर अब उठे सवालो पर, अब कौन लड़ेगा??
फ़िर भी मैं लड़ना चाहती थी, इन दरिंदो से।।
लेकिन अब मैं अकेली हो गई थी आखे बंद कर,
न्याय की उम्मीद लिये मैं हमेशा के लिए सो गई थी।।।
लेकिन माँ से बहोत सारे सवाल अधूरे रह गए,
Jeans, top, सूट सलवार, रात दिन ??
माँ इनमे से अब क्या चुने ????
ना ही Poster March चाहिए।।।
मैं भी इस देश की बेटी हु,
मुझे अब बस न्याय चाहिए …….Pyar Ke Effects Shayari
तो ख्वाहिशे शौकीन हो जाती है।
वादियां हँसीन और फिज़ाये संगीन हो जाती है,
दिल में चेहरा सिर्फ दिलबर का होता है ,
और सारी दुनिया रंगीन हो जाती है।
इश्क़ में मेहबूबा के दीवाने इस कदर मगरूर हो जाते है,
दुनिया के लिए अज़िब और आशिकी में अज़िज़ बनकर,
सारी दुनिया में मशहूर हो जाते है।Ab Yakeen par bhi yakeen nahi
कई आए इस जलती शमा को बुझाने
मैंने आँधियों को भी हवा समझा हैं…
अब क्या बताए हमने दर्द को तो अपनी मेहबूबा समझा हैं
किसी को कितना कोसे अब हमने खुद को बेवफा समझा हैं
यूँ ही बुझा जाए, क्या हलवा समझा हैंए खुदा तेरी रज़ा क्या है?
इन इनायतों में रखा क्या है,
इनसे पूँछों इन्होंने करा क्या है।
असल नवाज़िश ए करम क्या है,
दर्द से निजात नहीं तो मौत क्या है,
ए खुदा तेरी रज़ा क्या है,
इन ग्रंथों में मेरी सज़ा क्या है।