शब – ए – फुरकत भी ख़्वाबो की ताबीर बना दी
वो कौन था जिसने मिरी बिगड़ी तकदीर बना दी
मैं लिखने बैठा था पन्नो पे एहसास ऐ – ज़िन्दगी
और मेरे इस कम्भख्त दिल ने तेरी तस्वीर बना दी
~ Shayar Karan
Home » Submitted Posts उसे जाते हुए देखता हूँ और आवाज़ नहीं करता, परदा गिरे तो सच से रूबरू होंगे हम, तुझे निकालना है तो बेझिझक निकाल दे अपनी महफिल से, क़्तल-ए-आफ़्ताब सर-ए-बाज़ार होना कौन सी बड़ी बात है अब, तेरी फ़रेब-ए-सादगी से तेरे किरदार का पता चलता है, ~ Shubham Singh Submitted Posts
लिखने बैठा पन्नों पे एहसास और बन गयी तेरी तस्वीर
ज़िंदगी के हर मोड़ में तू ही हमसफ़र
तेरा मुझसे दूर जाना मेरी जान निकाल देता है
ज़िन्दगी का हर दिन है बहार
हमसफ़र साथ अपना तो हर मुश्किल आसान
दर्द भरे अलफ़ाज़ | परदा गिरे तो सच से रूबरू होंगे हम
अब मैं किसी को बार-बार नाराज़ नहीं करता।
यूँ तो उन चहरों पर परदा भी नाज़ नहीं करता।
वक्त खराब हो तो कोई अपना भी ऐतराज़ नहीं करता।
कमबख्त अँधेरों से अच्छा तो कोई साज़-बाज़ नहीं करता।
पीठ में खंजर उतारने की गुस्ताखी कोई जाँबाज़ नहीं करता।करीब होकर भी दूर
क्यों सवरू मैं
राह में मिला वो साथी
Khawab Deke Nindein Churana