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Radha-Shayam, Kanha-Gopiya Love Poem in Hindi

कान्हा ना छेड़ो मुझे यूँ भोले बनकर
मैं जानू भेद छिपा तोरे जो अंदर

छोरो ना मोरो मेरी, गोरी नाजुक कलाइयां
खन खन खनके जाये, मोरी सब चूड़ियां

नटखट तू इतना जाने, सब ब्रिज की गोपियाँ
फिर भी रोक ना पाए, खुद को सारी छोरियां

बंसी की मधुर तान छेड़, तू मोहे सबको
क्या गोपी क्या सखी चाहे, मस्ती प्यारी सबको

घर द्वार छोड़ दौड़ी, चली आयी भोली सखियाँ,
सुध बुध खोयी ऐसे, सुन तेरी प्यार भरी बतिया

कहीं कोई कहे छोड़ो, ना सताओ मोरे कान्हा
मन ही मन प्रीत करे, सब तुझसे सुन कान्हा

राधा-श्याम जोड़ी कुछ, भाये ऐसे जग में
प्रीत की डोरी में बंधे, तेरे ही संग में…….

 

~ नन्दबहु

 

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