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जियो ज़िंदगी जी भरके

दिन जवानी के हैं चार ये बात हुई अब पुरानी ,
चालीस के बाद शुरू होती है नयी एक कहानी ||

ज़माने की फिक्र नहीं अपनों से कोई गिला नहीं ,
गम नहीं उन सब का जो कुछ हमको मिला नहीं ||

मंजिलें पा लेने का एक सुखद सा एहसास होता है ,
नए रास्तों की खोज सबका मक़सद खास होता है ||

ये बस उम्र का एक पड़ाव है जीवन की शाम नहीं ,
इस उम्र में शुरू कर ना सकें ऐसा कोई काम नहीं ||

बदलो सोच पुरानी और नयी चीज़ें आत्मसात करो,
चिंता का निर्यात करो और खुशियों का आयात करो ||

जियो ज़िंदगी जी भरके और तुम ख़ूब मौज उड़ाओ ,
बढ़ते बच्चों के संग फिर से तुम नौजवान बन जाओ ||

जिंदगी देखने का एक नया नज़रिया बनाओ तुम ,
ख़ुद को दूसरों की ख़ुशी का जरिया बनाओ तुम ||

चालीस के अनुभव से आने वाली उम्र सुधर सकती है ,
अब तक जैसे गुजरी उससे और अच्‍छी गुजर सकती है ||

 

~ अपूर्व कुशवा

 


 

Din Jawani Ke hain Chaar Ye Baat Hui Ab Purani
Chalis Ke baad Shuru Hoti Hain Nayi Ek Kahani

Zamane Ki Fikar Nhi Apno Se Koi Gila Nahi
Gam Nahi Un Sabka Jo Kuch Humko Mila Nahi

Manzilen Paane Ka Ek Sukhad Sa Ehsaas Hota Hai
Naye Raaston Ki Khoj Sabka Maqsad Khaas Hota Hai

Ye Bas Umar Ka Ek Padav Hai Jeevan Ki Shaam Nahi
Is Umar Main Shuru Kar Na Sake Aisa Koi Kaam Nahi

Badlo Soch Purani Aur Nayi Cheeje Aatmsaat Karo
Chinta Ka Niryat Karo Aur Khushiyon Ka Aayat Karo

Jiyo Jindagi Jee Bharke Aur Tum Khub Mauj Udaon
Badhte Bacchon Ke sang Phir Se Tum Naujawan Ban Jao

Jindagi Dekhne ka Ek Naya Nazariya Banao Tum
Khud Ko Dusron Ki Khushi Ka Zariya Banao Tum

Chalis Ke Anubhav Se Aane Wali Umar Sudhar Sakti Hain
Ab Tak Jaise Gujari Usse Aur Acchi Gujar Sakti Hain

 

~ Apurv Kushwa

 

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सुन्दर पंक्तिया – ज़िन्दगी की सिख कविता

घबराने से मसले हल नहीं होते
जो आज है, वो कल नहीं होते।

ध्यान रखो इस बात का ज़रूर
कीचड़ में सब कमल नहीं होते।

नफ़ा पहुँचाते हैं जो जिस्म को
मीठे अक्सर वो फल नहीं होते।

जुगाड़ करना पड़ता है हमेशा
रस्ते तो कभी सरल नहीं होते।

दर्द की सर्द हवा से बनते हैं जो
वो ठोस कभी तरल नहीं होते।

नफ़रत की खाद से जो पेड़ पनपते हैं
मीठे उनके कभी फल नहीं होते।

जो आपको आपसे ज्यादा समझे
ऐसे लोग दरअसल नहीं होते।।

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