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हमारे देश के लोग बच्चे की काबिलियत को नहीं बस अपने फायदे को देख लेते हैं
एक बच्चा जो क्रिकेटर बनना चाहता हैं उसे IIT, Neet जैसी कोचिंग भेज देते हैं
कामयाबी मिले भी तो मिले कैसे, अरे कामयाबी मिले भी तो कैसे मिले
ये मछली को आसमान में और पंछी को तालाब में फेंक देते हैं……
हमारे देश के लोग बच्चे की काबिलियत को नहीं बस अपने फायदे को देख लेते हैं
~ Deepak Jat
जब जान लिया कि यह जीवन है क्षण भंगुर
फिर हे मनुष्य है तुझे किस बात का गुरूर
उठो! खंडित कर दो ऐसे विचार संकीर्ण
दिल के पिंजरे से कर दो मोहब्बत को विकीर्ण
~ Himanshi Nigam
फूलों की तरह हमें सदा खिलना चाहिए,
प्रेमभाव से हमेशा हमें मिलना चाहिए।
ज़िंदगी तो चार दिन की जी भर जिएं,
निःस्वार्थ भाव से परमार्थ करना चाहिए।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
हवाओं के इशारे होते हैं,
नदियों के भी किनारे होते हैं।
सिर्फ अहसास करने की बात है,
कभी कभी गर्दिश में सितारे ह़ोते हैं।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
काले गरजते बादलों को धुआँ समझा हैं
मैंने आँधियों को भी हवा समझा हैं…
गिले शिकवे की मुराद हैं उन्हें हमसे
अब क्या बताए हमने दर्द को तो अपनी मेहबूबा समझा हैं
भरा दिल तोड़े कोई और वजह कोई
किसी को कितना कोसे अब हमने खुद को बेवफा समझा हैं
कई आए इस जलती शमा को बुझाने
यूँ ही बुझा जाए, क्या हलवा समझा हैं
~ Kshitij Muktikar
किसी रोज़ हंसती थी वादियाँ,
मेरे छोटे से गांव में,
अब हर कोई शहर में बिक गया हैं,
अपने अपने भाव में….
~ Sayquo (Sayali Shinde)
हौसले जवाब दे रहे हैं, हारके उन हालातों से,
धीरे धीरे दूर हो रहा हूँ, अपने ही जज़्बातों से,
अब तो टूट कर बिखरने की देरी हैं….
आजा संभाल ले, इन हाथों को उन हाथों से
~ Piyush kr. Singh
हंसना रोना खोना पाना, सब जीवन के रंग।
फ़ंसा आदमी माया में है कभी दुख है कभी उमंग।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’