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वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है
बेखयाली के लम्हों में,
यूँ ही तेरा खयाल आया जाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
घिर जाऊं जो सावन की घटाओं से,
काश तेरे साथ होने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
नींद ना आये जब रातों में,
तो तेरी तस्वीर देखकर मुस्कुराने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
गर अधूरा से महसूस हो खुदमे,
तो तेरी दोस्ती निभाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
गर रूठ जाऊं मैं कभी हालातों से,
तो तेरा मुझे कसकर गले लगाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
रहते तो बहुत दूर हो हमसे,
पर पास ना होकर भी पास होने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।।
~ शायरों की टपरी

अपना इश्क़ 1990 वाला चाहता हूँ,
टेक्स्ट, कॉल से दूर,
ख़तों पर रहना चाहता हूँ,
ये बाबू शोना छोड़के,
उसे प्रेमिका कहना चाहता हूँ,
जब मिले हम अचानक से,
तो उसकी खुशी देखना चाहता हूँ ,
जब आये सुखाने कपड़े छत पर,
तो चोरी चोरी मिलना चाहता हूँ,
जो पापा और भाई के आने से डरती हो,
ऐसी मेहबूबा चाहता हूँ,
हॉं, मैं आज भी मोहब्बत
पुराने जमाने वाली चाहता हूँ ।
~ नितिन राजपूत
मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता
बहते आँखों से आंसू, या लब खिलखिलाते
या दोनों के संगम का, एक साथ एहसास होता
करते ढेर सारी बातें, या चुप मुस्कुराते
चलते साथ साथ और हाथो में हाथ होता
रुकते फिर बहाने से, देखने को आखें
निगाहों ही निगाहों में, उमड़ता वो प्यार होता
बैठ कर कही, सीने से तेरे लग जाते
रुक जाए अब पल यही, ऐसा विचार होता
मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता
आसमान से तारे तोड़ लाता, अगर बस में मेरे होता
तेरे कदमो में जन्नत बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तुझे दुनिया की सेर करा, एक नया ही जहां दिखलाता
तेरी राहों में फूल बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तेरे ख्वाब की हक़ीक़त बन, सपने सारे सच कर जाता
तेरे दर्द को खुद पर झेल जाता, अगर बस में मेरे होता
मैं खुद को तेरा आईना और एक तस्वीर निराली बनाता
तेरे आंसू को अपनी आँखों से गिराता, अगर बस में मेरे होता
तेरे लिए एक ताजमहल बनवाता, प्यार मेरा सबको दिखलाता
खुदा बन तेरी हर एक दुआ पूरी करता, अगर बस में मेरे होता
कितनी मोहब्बत हैं तुमसे मुझे ये तुम्हे समझाने के लिए
अपना दिल तेरे दिल में धड़काता, अगर मेरे बस में होता
होंठो पे अपने होंठ रख दूँ
आ तुझे मैं प्यार कर लू।
साँसों में साँसें घुल जाने दे
बाँहों में बाहें मिल जाने दे।
दो जिस्म हम, जान एक है
इरादे मेरे आज नहीं नेक है।
आग लग रही है, तन-बदन में
जल रहा हूँ मैं प्रेम अगन में।
लबों पे अपने लब रख दूँ
आ तुझे मैं प्यार कर लू।
एक दूजे में खो जाने दे
मुझको तेरा हो जाने दे।
आग लग रही है, तन और मन में
सुलग रहा हूँ मैं, बरसते सावन में।।
चलो ना पूरी तरह बहक जाते है
ताक़त आज अपनी आज़्माते है।
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ
हाँ मैं तेरे प्यार में फिर से पड़ने लगा हूँ
सोचा रुक जाएगी ज़िन्दगी, जब उसने मेरे दिल को तोडा
लेकिन तूने आके मेरी ज़िन्दगी में इसका टुकड़ा टुकड़ा जोड़ा
सपने लेने छोड़ दिया था, लगा था तनहा सा रहने
अब तू मिली ज़िन्दगी में और तेरे सपने के सागर में लगा हूँ बहने
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….
चली गयी थी चेहरे की हंसी आने लगे थे दुःख
तुम मिली ज़िन्दगी में अब सच हैं सारे सुख
प्यार एक शब्दो का खेल हैं. ऐसा लगा था सबसे कहने
आज तो फिर से प्यार हो गया और लगा हूँ तेरे ख्वाबो में रहने
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….
~ shyam lahoti
आज पास तुम चले आओ, तो कोई बात बने
अपना मुझे भी बनाओ, तो कोई बात बने
मेरी हर सांस-o-एहसास ने तेरा एतबार किया
हर नजर ने, हर जज़्बे ने तुमसे इज़हार किया
आज हमे तुम भी चाहो, तो कोई बात बने
मोहबत्त तुम भी जताओ, तो कोई बात बने
आज वादा तुम भी निभाओ, तो कोई बात बने
एक कसम तुम भी खाओ, तो कोई बात बने
लिखें हैं ना जाने कितने नगमे इस प्यार ने
मांगी हैं कितनी ही दुआएं पल पल इस इन्तजार ने
आज गीत तुम भी गुनगुनाओ, तो कोई बात बने
एक ग़ज़ल तुम भी सुनाओ, तो कोई बात बने
बहुत हैं अरमान साथ तुम्हारे जीने का हमे
इश्क़ के पहलु में मुस्कुरा कर मरने का हमे
आज अगर तुम भी मान जाओ, तो कोई बात बने
दुनिया अपनी भी दिखाओ, तो कोई बात बने
हैप्पी वैलेंटाइन्स डे
किसी का सवाल बन गयी
तो किसी का खयाल बन गयी
छोटी सी नाजुक कली…
और फिर गुलाब बन गयी
निखरता शबाब बन गयी
ग़ज़ल की किताब बन गयी
छोटी सी नाजुक कली…
और फिर गुलाब बन गयी
आँगन की गुड़िया अब देखो
बड़ी सी मिसाल बन गयी
छोटी सी नाजुक कली…
और फिर गुलाब बन गयी
घर की नवाब बन गयी
आशिक़ का ख्वाब बन गयी
हसीन महताब बन गयी
छोटी सी नाजुक कली…
और फिर गुलाब बन गयी
Ye kaisa saya mere dil par hai chaya
Jise dekha bi nhi or mehsus hua bhi nhi
Ajeb sa naata jo tujhse jodna hai chaha
Rishta tuta bhi nhi or tu mila bhi nhi
Bedakhal bhi tujhe karu to karu kaise
Tera kabja bhi nhi or koi vaada bhi nhi
Zindagi tera bhi vishwas kaise karu
Tune kuch liya bhi nhi to diya bhi nhi
Guzar rahi hai zindagi meri kuch is trah
Manzil mili bhi nhi to rasta bacha bhi nhi
Zindagi me thoda love sove krte h
Mohabbat ki raaho par chal pdte h
Chod duniyadaari ki chintaao ko…
Aazad panchi ki tarah udd chalte h
Zindagi me thoda love sove krte h
Apni kahani ko kuch yu badalte h
Dhadkano ko yu machalne dete h
Beparwah nadi ki trah beh chalte h
Zindagi me thoda love sove krte h
Dewangi ki hadh se aage bhd chlte h
Logo ki un mehfilo ko bhuul chlte h
Aashiqi ka asar sb par chod chlte h
Chal aaj se….
Zindagi me thoda love sove krte h