Home » Love Poems एक दोस्त ऐसा भी हो, जो सिर्फ मेरा हो… मैं रोऊ तो मुझे हँसाए, मैं रूठू तो मुझे मनाए,
मेरे हर एक दुख में मेरे साथ हो, मेरी हर एक खुशी में मेरे साथ हो, मेरे बिन बोले मेरी बात समझे, मेरे बिन बोले मेरे दर्द को महसूस करें।
हां एक दोस्त ऐसा भी हो, जो मेरी हंसी के पीछे छिपे दर्द को पहचान ले, जो मेरे गिरने से पहले मेरा हाथ थाम ले, मुझे संभाल ले।
हां एक दोस्त ऐसा भी हो, जो जिंदगी की कठिन राह पर, मेरा मार्गदर्शक बने। जो दुनिया की भीड़ में, मुझे तन्हा न छोड़े। जो अंधेरे में मेरी रोशनी बने, हां एक दोस्त ऐसा भी हो।
हां एक दोस्त ऐसा भी हो, जिसका साथ पाकर मैं हर गम भूल जाऊं, जो मेरे साथ चले तो लगे, जैसे कि मेरी ही परछाई।
एक दोस्त ऐसा भी हो, जो मुझे खोने से डरे, जिसे मेरी कमी महसूस हो, जब मैं उसके साथ ना हूँ तो, हां एक दोस्त ऐसा भी हो, जो मुझसे कभी नाराज ना हो। हां एक दोस्त ऐसा भी हो, जो सिर्फ मेरा हो, सिर्फ मेरा।
~ ऋचा गर्ग
हर रोज अगर चाँद नजर आने लग जाएँ | जितने रोजेदार हैं सब ईद मनाने लग जाएँ |
हम अपने दीयों को बुझाना पसंद करेंगे, आप जैसी आंधियां गर उसको बुझाने लग जाएँ |
तेरी एक झलक मिल जाए अगर हमको, हम तो हर शाम छत पर आने लग जाएँ |
खुदा करे उस दिन जल्द सुबह न हो, जिस रात वो मेरे ख्वाब में आने लग जाएँ |
फिर तो मयखाने जाने की जरूरत न पड़े, गर आप अपनी नजरों से पिलाने लग जाएँ |
खुदा कसम तुम तब याद आते हो बहोत, जब कभी हम तुमको भुलाने लग जाएँ |
यूँ तो आसान बहुत है शायर होना, पर एक शेर कहने में तुमको जमाने लग जाएँ |
~ अब्दुल रहमान अंसारी (रहमान काका)
मुझे अजनबी से प्यार हो गया हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया
जिसके बारे में कल तक अनजान था आज वो मेरा सब कुछ हो गया हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।
कुछ तो बात है तुझमें जो मुझे तेरे तरफ़ खींचता चला गया तेरी अच्छाईयां बुराईयां सब मुझे भाता चला गया हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।
वो कहती थी कभी मोहब्बत नहीं करेगी किसी से मैंने उसे मोहब्बत करना फिर से सीखा दिया रूठे हुए दिल को हसना सीखा दिया हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।
~ Anuj Kumar
तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब, दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…
तुझे खबर लगे देखने की तुझको, इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…
तेरे सामने दिल बदमाश बन जाता हैं बेवक्त, इसे इंतज़ार की तस्सली देकर ही सुधार रहा हूँ मैं…
ये कैसी ख़ता तुझसे इश्क़ करने की, इस ख़ता को खुद ही सबसे बता रहा हूँ मैं…
जिन्हें शक हैं हमारे रिश्ते को लेकर, उन कमबख्तों का हर सवाल मिटा रहा हूँ मैं…
आसमां में देखा था मैंने कभी तुझे, आज अपने संग जमीं पर उतार रहा हूँ मैं…
तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब, दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…
तुझे खबर लगे देखने की तुझको, इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…
~ Monu yadav
यूँ तेरा मेरा साथ हो बनारस का गंगा घाट हो शाम के हसीन नज़ारे हो चाँद भी साथ हमारे हो प्रकृति की हवा सुहानी हो पक्षियों की मधुर वाणी हो तेरी मेरी अनकही कहानी हो हाथों में निर्मल गंगा पानी हो कुछ वादें तेरी जुबानी हो कुछ कसमे मेरी जुबानी हो घाटों पर रात का सन्नाटा हो गंगा के लहरो की गूंज हो वहाँ हम एक ज्योतिपुन्ज हो ऐसी ही प्रेममयी हमारी कहानी हो गंगा स्वयं साक्ष्य जिसकी निशानी हो
~ Pratiksha rai
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है
बेखयाली के लम्हों में, यूँ ही तेरा खयाल आया जाने का वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
घिर जाऊं जो सावन की घटाओं से, काश तेरे साथ होने का वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
नींद ना आये जब रातों में, तो तेरी तस्वीर देखकर मुस्कुराने का वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
गर अधूरा से महसूस हो खुदमे, तो तेरी दोस्ती निभाने का वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
गर रूठ जाऊं मैं कभी हालातों से, तो तेरा मुझे कसकर गले लगाने का वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
रहते तो बहुत दूर हो हमसे, पर पास ना होकर भी पास होने का वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।।
~ शायरों की टपरी
अपना इश्क़ 1990 वाला चाहता हूँ,
टेक्स्ट, कॉल से दूर, ख़तों पर रहना चाहता हूँ,
ये बाबू शोना छोड़के, उसे प्रेमिका कहना चाहता हूँ,
जब मिले हम अचानक से, तो उसकी खुशी देखना चाहता हूँ ,
जब आये सुखाने कपड़े छत पर, तो चोरी चोरी मिलना चाहता हूँ,
जो पापा और भाई के आने से डरती हो, ऐसी मेहबूबा चाहता हूँ,
हॉं, मैं आज भी मोहब्बत पुराने जमाने वाली चाहता हूँ ।
~ नितिन राजपूत
मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता
बहते आँखों से आंसू, या लब खिलखिलाते या दोनों के संगम का, एक साथ एहसास होता
करते ढेर सारी बातें, या चुप मुस्कुराते चलते साथ साथ और हाथो में हाथ होता
रुकते फिर बहाने से, देखने को आखें निगाहों ही निगाहों में, उमड़ता वो प्यार होता
बैठ कर कही, सीने से तेरे लग जाते रुक जाए अब पल यही, ऐसा विचार होता
मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता
आसमान से तारे तोड़ लाता, अगर बस में मेरे होता तेरे कदमो में जन्नत बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तुझे दुनिया की सेर करा, एक नया ही जहां दिखलाता तेरी राहों में फूल बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तेरे ख्वाब की हक़ीक़त बन, सपने सारे सच कर जाता तेरे दर्द को खुद पर झेल जाता, अगर बस में मेरे होता
मैं खुद को तेरा आईना और एक तस्वीर निराली बनाता तेरे आंसू को अपनी आँखों से गिराता, अगर बस में मेरे होता
तेरे लिए एक ताजमहल बनवाता, प्यार मेरा सबको दिखलाता खुदा बन तेरी हर एक दुआ पूरी करता, अगर बस में मेरे होता
कितनी मोहब्बत हैं तुमसे मुझे ये तुम्हे समझाने के लिए अपना दिल तेरे दिल में धड़काता, अगर मेरे बस में होता
होंठो पे अपने होंठ रख दूँ आ तुझे मैं प्यार कर लू।
साँसों में साँसें घुल जाने दे बाँहों में बाहें मिल जाने दे।
दो जिस्म हम, जान एक है इरादे मेरे आज नहीं नेक है।
आग लग रही है, तन-बदन में जल रहा हूँ मैं प्रेम अगन में।
लबों पे अपने लब रख दूँ आ तुझे मैं प्यार कर लू।
एक दूजे में खो जाने दे मुझको तेरा हो जाने दे।
आग लग रही है, तन और मन में सुलग रहा हूँ मैं, बरसते सावन में।।
चलो ना पूरी तरह बहक जाते है ताक़त आज अपनी आज़्माते है।
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