गुजर रही हैं ज़िन्दगी ऐसे मुकाम से,
अपने भी दूर हो जाते हैं जरा सी झुकाम से
तमाम कायनात में एक कातिल बीमारी की हवा हो गयी
वक़्त ने कैसा सितम ढाया की “दूरिया ही दवा” हो गयी
~ unknown
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लॉकडाउन यह लॉकडाउन नहीं जीवन रक्षक मंत्र है जिसने इसे बनाया वह तो है अपनी मस्ती में यह ना देखे जात पात ना ही देखे कोई धर्म फैले ना ये सब जगह इसलिए इस्तेमाल करे सैनिटाइज व मास्क ना हाथ मिलाये ना गले मिले बस कुछ दिन की तो बात आओ हम सब मिलकर ये पहल करें यह लॉकडाउन नहीं जीवन रक्षक मंत्र है ~ माही गुप्ता “बे वजह घर से निकलने की जरुरत क्या है” सब को मालूम है बाहर की हवा है कातिल ज़िन्दगी एक नेमत है उसे संभाल के रखो दिल बहलाने के लिए घर में वजह है काफी #Lockdown
Lockdown Shayari
Heart Touching True But Sad Corona Shayari
यह लॉकडाउन नहीं जीवन रक्षक मंत्र है
जिससे बचना है हमें उसका नाम कोरोना षड्यंत्र है|
अब यह फैल रहा हम लोगों की बस्ती में|
यह तो अपने चक्कर में सब को लपेटे चाहे राजा हो या रंक|
इन दोनों को देखकर ही कोरोना दूर से ही जाता भाग|
एक बार सब ठीक हो जाए फिर मिलते रहिए दिन रात|
दूर दार रहकर ही चहल करें|
जिससे बचना है हमे उसका नाम कोरोना षड्यंत्र है|Lockdown Frustration
गलियों में भटकने की जरुरत क्या है?
मौत से आँखे मिलाने की जरुरत क्या है
यूँही कातिल से उलझने की जरुरत क्या है
कब्रगाहों को सजाने की जरुरत क्या है
यूँही गलियों में भटकने की जरुरत क्या है”
#Covid-19
#CoronaVirus
#IndiaFightsCorona