खिलाती पिलाती और दुलारती है,
सच में ‘मां’ हम सबको संवारती है।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
Home » Jitendra Mishra » Page 3 प्यार के गीत गाते रहो ज़िंदगी की बड़ी है कठिन डगर, हंसते-हंसते ये रास्ता कट जाएगा, प्रेम की डोर यूं ही पकड़ कर चलो, उदासी न हो ना ही अफ़सोस हो, प्रीत पलती रहे ज़िंदगी में सदा, प्यार के गीत गाते रहो………….।। ~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’ दो घड़ी के लिए दो घड़ी के लिए, बैठ जाया करो। दो घड़ी के लिए……..।। कभी उंगली पकड़कर, चलना सिखाया था। दो घड़ी के लिए…….।। प्यार के दो बोल, अनमोल हैं। दो घड़ी के लिए……..।। माना तुम पढ़ लिखकर, इंसान हो गए। दो घड़ी के लिए……..।। ~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’ Jitendra Mishra
‘मां’ हम सबको संवारती है
गर्दिश में सितारे
तुम मेरी सरगम बनो और मैं संगीत
झूठी शानोशौकत और दिखावा करने वालो पर 4 पंक्तिया
ज़िंदगी जीने का नया ढ़ंग होना चाहिए
मुश्किलों के दौर में थोड़ा संभल कर चलो
आज उनसे फिर मुलाकात हुई
सपने जीवन में अनमोल होते हैं
प्यार के गीत गाते रहो | जोश और उमंग से भरी कविता
तुम सदा यूं ही मुस्कुराते रहो।
ख़ुशियों के गीत सदा गुनगुनाते रहो।
गम का बादल सदा यूं ही छंट जाएगा।
कुछ ना कुछ बोझ जीवन का बंट जाएगा।
मन में यूं ही हमारे नया जोश हो।
मन में अपने न कोई आक्रोश हो।माँ बाप के लिए बच्चो को सीख
मां बाप के पास भी कभी आया करो।
कभी उनको भी बाहर घुमाया करो।
प्यार से कभी तुम, मनाया करो।
कभी तो इंसानियत, दिखाया करो।