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घरों की आग | Deep sad lines

 

दिल में लगी है आग, बताएं कैसे।
गमों का आशियाना, दिखाएं कैसे।
बताएं या छुपाए, हार अपनी है।
अपने घरों की आग, बुझाएं कैसे।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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तेरा मुस्कराना गज़ब ढा गया

तुम्हारी बातों में दिल आ गया था।
नज़र जब मिली थी मैं शर्मा गया था।
अदाओं ने तेरी, दिल मेरा छीना।
तेरा मुस्कराना गज़ब ढा गया था।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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अपने ही आँसुओं की वजह

कुछ दर्द जो दिल में घर कर गए…
कुछ आसूँ जो आँखों से छलक गए…
अपने दिल का दर्द हम बताते भी किसको…?
जब अपने ही उन आँसुओं की वजह बन गए!!

~ आयुषी शर्मा

 

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ऐतबार -ए- मोहब्बत में इस कदर टूटे

ऐतबार – ए – मोहब्बत में इस कदर टूटे है, कि……..,
सुकून-ए-दिल की तलाश में ना जाने कहां-कहां भटके है

 

~ आयुषी शर्मा

 

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राज मत पूछो उन्हें क्यों चाहता है दिल

राज मत पूछो उन्हें क्यों चाहता है दिल,
गर बता देंगे हकीकत आप भी जाओगे हिल।
इसलिए होंठो को हमने अब दिया है सिल,
ताकि भरते घाव कोई फिर न पाये छिल।

 

~ डॉ सतीश चन्द्र पाण्डेय

 

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अब दिल को दर्द भी नहीं होता

निकल पड़ा हूँ उस रास्ते पे
जो कभी ख़त्म नहीं होता

रुक जाता उस वक़्त अगर तूने
….एक बार भी रोका होता

आते हैं आज भी वो सपने
जब कभी गलती से, मैं सोता

बनाता हूँ ख़यालो में चेहरा तेरा
की दिल से अक्स तेरा नहीं होता

चाहता हूँ की रोकर गम भुला दू
पर कम्बक्त दिल ही नहीं होता

बहुत खायी हैं इस दिल ने चोटें
की अब दिल को दर्द भी नहीं होता

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