Home » Bewafa Shayari
हर ख़ुशी मुझसे जुड़ा सी लग रही हैं
ज़िन्दगी मुझसे खफा सी लग रही हैं
जब तू था साथ मेरे तो फ़िज़ा से भी खुशबू आती थी
अब बहारों में भी हर कली मुरझाई सी लग रही है
किसी का गम है मुझसे ज्यादा, कुछ का है कम
पर मेरे ग़मों से मुझको नफरत सी हो रही है
तूने तोड़ा है दिल तो हम अब फ़रियाद कर रहे है
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं
सो जाऊं तेरी बाहों में एक बार तू आजा सनम
ना थम जाएं सांसें इंतजार में, के अब अंतिम घडी चल रही हैं
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं
~ भावना कौशिक
वफ़ा भी नही करता वो बेवफ़ा होने से भी डरता हैं
मुझे पाना भी नही चाहता और मुझे खोने से भी डरता है
~ Pari
तुम्हें गलतफहमी है, कोई सच्चाई नहीं है।
यह सच्चा प्रेम है, कोई बेवफ़ाई नहीं है।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
दास्तान-ए-गम मेरी सुनके..,
आसमान भी रोया बारिश करके,
कोना तक दुपट्टे का तेरा ना भीगा
ए-बेवफा कभी हमे याद करके…
निकल पड़ा हूँ उस रास्ते पे
जो कभी ख़त्म नहीं होता
रुक जाता उस वक़्त अगर तूने
….एक बार भी रोका होता
आते हैं आज भी वो सपने
जब कभी गलती से, मैं सोता
बनाता हूँ ख़यालो में चेहरा तेरा
की दिल से अक्स तेरा नहीं होता
चाहता हूँ की रोकर गम भुला दू
पर कम्बक्त दिल ही नहीं होता
बहुत खायी हैं इस दिल ने चोटें
की अब दिल को दर्द भी नहीं होता
बेवफा तो वो खुद थी,
पर इलज़ाम किसी और को देती हैं
पहले नाम था मेरा उसके होंठो पर,
अब वो नाम किसी और का लेती हैं,
कभी लेती थी वादा मुझसे साथ ना छोड़ने का
अब यही वादा वो किसी और से लेती हैं..||
खुले आसमान के निचे बैठा हूँ …कभी तो बरसात होगी …..
एक बेवफा से प्यार किया हैं तो ज़िन्दगी कभी तो बर्बाद होगी
~ रोबिन श्रीवास
बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है,
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है ।
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है ।
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
ज़िन्दगी की हसीन राह पर तुम मुझसे आकर टकरा गए
दिखाकर आँखों को ख्वाब प्यारा सा, फिर उसे भिखरा गए
फूल अरमानों के जो भी खिले मेरे दिल में सब मुरझा गए
खुशियों को मेरी लूटकर तुम.., गमो के बादल बरसा गए
आशिक़ अपनी माशूका से जो की दुल्हन बनने जा रही हैं : –
हमारी ज़िंदगी तो कब की भिखर गयी
हसरते सारी दिल में ही मर गयी
चल पड़ी वो जब से बैठ के डोली में
हमारी तो जीने की तमन्ना ही मर गयी
माशूका जवाब में कहती हैं –
झांखकर देखा होता एक बार तो डोली के अंदर,
के हो गया हैं अब मेरी भी ज़िंदगी का पूरा सफर
तेरे साथ साथ अब मेरी भी मंज़िल ख़त्म हो गयी
बताने ना दिया तूने और कह दिया तू बेवफा हो गयी