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वक्त वो दोस्त है जो

वक्त वो दोस्त है जो सिखाता रहा। हंसाता रहा और रुलाता रहा।
ठोकरें खाकर ही चलना सीखा है। वक्त ही नयी राह दिखाता रहा।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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ऐतबार -ए- मोहब्बत में इस कदर टूटे

ऐतबार – ए – मोहब्बत में इस कदर टूटे है, कि……..,
सुकून-ए-दिल की तलाश में ना जाने कहां-कहां भटके है

 

~ आयुषी शर्मा

 

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तेरी यादें, तेरी मौजूदगी हमेशा कायम रखूगी

“तेरी यादों के अलावा कुछ नहीं मेरे पास उन्हें हमेशा संभाल कर रखूगी……….,
दिल का वो कमरा खाली ना समझना उसमें तेरी मौजूदगी हमेशा कायम रखूगी”

 

~ आयुषी शर्मा

 

 

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बच्चे मन के सच्चे

आसमान सिर पर उठाते हैं बच्चे, खेलते-कूदते और मुस्काते हैं बच्चे।
ये बच्चे भी मन के सच्चे होते हैं, सीखते और कुछ सिखाते हैं बच्चे।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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अब तो मन भी रेगिस्तान जैसा

दिन कटता नहीं अब रात नहीं होती, तेरी मेरी कोई मुलाकात नहीं होती।
अब तो मन भी रेगिस्तान जैसा है, खुशियों की अब बरसात नहीं होती।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’

 

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