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रूठे हुए को मनाना तो दस्तूर-ए-दुनिया…..,
पर रूठे की मानना क्यों नहीं सीखती दुनिया
आज ऊँगली थाम ले मेरी, तुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा, जब मैं बुढा हो जाऊं …!!!!
मेरी हैसियत से ज्यादा मेरे थाली में तूने परोसा है,
तु लाख मुश्किलें भी दे दे मालिक, मुझे तुझपे भरोसा है।
बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है,
सुना है, वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है!
हम से खेलती रही दुनिया ताश के पत्तो की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेका जिसने हारा उसने भी फेका !
ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!
अच्छा लगता हैं तेरा नाम मेरे नाम के साथ,
जैसे कोई खूबसूरत सुबह जुड़ी हो, किसी हसीन शाम के साथ !
“रिश्ता” दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,
“नाराजगी” शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!
पढ़ रहा हूँ मै इश्क़ की किताब ऐ दोस्तों……
ग़र बन गया वकील तो बेवफाओं की खैर नही
ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…मोहब्बत नहीँ करतेँ
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