0

ख्वाब सजाने की फितरत थी हमको

 

Kisi se prem ki chaah thi humko
Kisi se jeene ki umeed thi humko
Vo mere jisme e jigar ko kyon rula gaya
Jis se saare khwab sajane ki fitrat thi humko

 

~ Abhi raja Farrukhabadi

 


 

किसी से प्रेम की चाह थी हमको
किसी से जीने की उम्मीद थी हमको
वो मेरे जिस्म ए जिगर को क्यों रुला गया
जिससे सारे ख्वाब सजाने की फितरत थी हमको।।।

 

~ अभी राजा फर्रुखाबादी

 

Share This
0

अब कोई नजर मिलाने वाला नही है

Iss barbaad jindagi ko koi
Samajhne wala nahi hai
Thokar khakar gire hain pyar me
Koyi uthaane wala nahi hain
Humne socha tha kabi vo fir yaad karange hume
Lekin ab koyi nazar milane wala nahi hain

~ Adarsh kumar

 


 

इस बर्बाद जिन्दगी को कोई
समझने वाला नही है,
ठोकर खाकर गिरे है, प्यार में
कोई उठाने वाला नही है..!
हमने सोंचा था, कभी वो फिर याद करेंगे हमे
लेकिन अब कोई नजर मिलाने वाला नही है..

~ आदर्श कुमार

 

Share This
0

तूने तोड़ा है दिल, अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं

हर ख़ुशी मुझसे जुड़ा सी लग रही हैं
ज़िन्दगी मुझसे खफा सी लग रही हैं

जब तू था साथ मेरे तो फ़िज़ा से भी खुशबू आती थी
अब बहारों में भी हर कली मुरझाई सी लग रही है

किसी का गम है मुझसे ज्यादा, कुछ का है कम
पर मेरे ग़मों से मुझको नफरत सी हो रही है

तूने तोड़ा है दिल तो हम अब फ़रियाद कर रहे है
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं

सो जाऊं तेरी बाहों में एक बार तू आजा सनम
ना थम जाएं सांसें इंतजार में, के अब अंतिम घडी चल रही हैं

अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं

 

~ भावना कौशिक

 

Share This
0

मैं इतना अकेला हूं कि जीना भूल गया हूँ

मैं बारिश में चलता हूँ, ताकि कोई मेरे आँसू न देखले
मैं अँधेरे में चलता हूँ, ताकि कोई मेरे चेहरे पर डर न देखले

मन ही मन बोलता है, ताकि कोई मेरा टूटा हुआ दिल नहीं सुन सके

मैं इतना अकेला हूं कि, दूसरों के साथ रहना भी भूल गया हूं
एक हतषा ऐसी कि, मैं दूसरों पर भरोसा करना भी भूल गया हूं।

झूठा इतना हंसा, कि अब मैं अपनी असली मुस्कान भी भूल गया हूं
अरे ज़िन्दगी तुम क्या चाहती थी, मैं तो जीना भी भूल गया हूँ।

 

~ Chanchal Goyal

 

Share This
0

ज़िन्दगी में जो चाहते है साला वो ही नहीं मिलता

 

जिन आँखों में ख्वाब रहा करते थे उनमें ये डर कैसा है?
जिस घर मुझे घर सा नहीं लगता ये मेरा घर कैसा है?

नाज़ुक सी ज़िन्दगी इतने कठोर सवालो से भरी क्यों है?
जो मुझे चाहिए वो किसी और की बाहों में भरी क्यों है?

इन सवालो के जवाब में नए सवाल क्यों है?
वो भी एक आम सा ही लड़का होगा आखिर
उसके लिए इतना बवाल क्यों है?

मेरी तरह क्यों कोई नहीं मिलता ?
दिल मिलकर दिल क्यों नहीं मिलता ?

हमसे ज़िन्दगी कुछ खास मोहब्बत करती है क्या?
जो चाहते है साला वो ही नहीं मिलता….

 

~ रोहित सुनार्थी

 

Share This
0

घरों की आग | Deep sad lines

 

दिल में लगी है आग, बताएं कैसे।
गमों का आशियाना, दिखाएं कैसे।
बताएं या छुपाए, हार अपनी है।
अपने घरों की आग, बुझाएं कैसे।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

Share This
0

हिस्सों में बट चुका है किरदार मेरा

कभी मुख्तसर खुशी कभी इंतहा ए ग़म हूं मैं
कभी ज़ख्मों की वजह तो कभी मरहम हूं मैं
इतने हिस्सों में बट चुका है किरदार मेरा
की आजकल मैं थोड़ा कम हूं मैं ।।

 

~ निर्मल

 

 

Share This
0

क्या क्या सितम

अधुरे ज़ज्बात, अधुरे लफ़्ज और अधुरी बात
अभी तो कितने ही सवाल मेरे यार बाकी हैं
अधुरी यादें, अधुरे ख्वाब और ये आधी रात
अब और क्या क्या सितम मेरे यार बाकी हैं

 

~ लीलाधर गोस्वामी

 

Share This
0

एक नज़र भी ना देखें वो मेरी तरफ़

हाल अपना सुनाएं हम कैसे उन्हें,
वो तो ग़ैरों की महफ़िल में रमे जा रहे।
एक नज़र भी ना देखें वो मेरी तरफ़,
बेरुखी से हम उनकी मरे जा रहे।।

 

~ महेश ओझा (Mahesh Ojha)

 

Share This