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हर ख़ुशी मुझसे जुड़ा सी लग रही हैं
ज़िन्दगी मुझसे खफा सी लग रही हैं
जब तू था साथ मेरे तो फ़िज़ा से भी खुशबू आती थी
अब बहारों में भी हर कली मुरझाई सी लग रही है
किसी का गम है मुझसे ज्यादा, कुछ का है कम
पर मेरे ग़मों से मुझको नफरत सी हो रही है
तूने तोड़ा है दिल तो हम अब फ़रियाद कर रहे है
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं
सो जाऊं तेरी बाहों में एक बार तू आजा सनम
ना थम जाएं सांसें इंतजार में, के अब अंतिम घडी चल रही हैं
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं
अब ये ज़िन्दगी एक सजा और मौत वफ़ा सी लग रही हैं
~ भावना कौशिक
मन में प्यार छुपाए क्यों हो,
अपनी बात को सामने लाओ ज़रा,
कुछ यादगार पल बिताने है,
अपने दिल की बात तो सुनाओ ज़रा।
~ सृष्टि मौर्य
तेरे इकरार मे करार तो हो
झूठा सही मगर प्यार तो हो
तुम हो खुशनशीब माना मगर
खुशनशीबी का किसी को ऐतबार तो हो
झूठा सही मगर प्यार तो हो
~ Swami ganganiya
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
बीते हुए लम्हो के साथ फिर लौट आयी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
किताबों से भी निकल कर आयी
कभी खामोसी के साथ आयी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
कभी आँखों में आंसू बनकर आयी
तो कभी छू लेती मेरे दिल की गहरायी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
~ मनीषा सोलंकी
ग़म है या ख़ुशी है, पर मेरी ज़िन्दगी हैं तू..
आफतों के दौर में, चैन की घडी हैं तू..
मेरी रात का चराग, मेरी नींद भी हैं तू..
मैं फिजा की शाम हूँ, रूत बहार की हैं तू..
दोस्तों के दरमियान, वजह-ए-दोस्ती है तू..
मेरी सारी उम्र में, एक ही कमी हैं तू..
~ अज़ीम आजाद
जिस्मों से मोहब्बत हो रही है…
दो रूहों का प्यार अब कहां रहा…
न रहे वो आशिक पहले जैसे…
मर मिटने का खुमार अब कहां रहा…
जिस्मों से मोहब्बत हो रही है…
दो रूहों का प्यार अब कहां रहा…
~ Akshat
जब भी मिलने आती है, वो सामां छोड़ जाती है,
मेरी गर्दन पे, अपने लब, बना के छोड़ जाती है।
न जाने कौन सा तूफां उमड़ता, उसके आने पे,
जाती है तो हरदम, मुझको बेजां छोड़ जाती है।
अकीदत है, कि मुझसे बारहा वो पूछती है पर,
अरमां ले के आती है औ’ अरमां छोड़ जाती है।
आती ख़ुद नही जब, याद अपनी छोड़ जाती है,
मुश्किल जिंदगी को, ऐसे आसां छोड़ जाती है।
दिया तो है यकीनन ज़िन्दगी का वास्ता मुझको,
अधूरा हर दफ़ा किस्सा, मेरी जां छोड़ जाती है।
~ Anupam Shah
मेरा दिल हैं एक शीशा जिसमे बसा हैं चेहरा तेरा……..,
हज़ार टुकड़ो में होकर भी हर टुकड़े में नाम लिखा हैं तेरा
~ Deepakshi Ghanshani
तुम ख़ामोशी की जुबां समझ लेते हो,
हमारी शाम को तुम सवार देते हो
तुम चाहे गुजारिश ना करो इस बात की,
हमे भी एतियात हैं तुम हमसे इश्क़ कर बैठे हो
~ शहज़ाद
सफर सुहाना जो तुम साथ हो,
रहूँ दीवाना जो हाथों में हाथ हो
बस नहीं रही कोई आरज़ू दिल में,
जबसे मान लिया हमने मेरे पास तुम हो
~ Shahezad
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