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ज़िन्दगी महज़ एक फूल हैं…
यही सोचना तेरी भूल हैं…
हज़ार ठोकर खाके खुद ही संभलना हैं
ज़िन्दगी का तो यही उसूल हैं
“Zindagi mahaz ek phool hain..
Yahi sochna teri bhool hain..
Hazar thokkar khake khud hi samhalna h
Zindagi ka toh Yahi usool hain”
~ manshi dash
ज़िंदगी तो कठिनाइयों का रास्ता है, मंजिल अपनी कुछ ख़ास रखना,
सफलता जरूर मिलेगी, बस इरादे नेक और हौसले बेहिसाब रखना।
~ minds halchal
सच कहूँ तो मुझे एहसान बुरा लगता है,
जुल्म सहता हुआ इंसान बुरा लगता है,
कितनी मसरुक हो गयी है ये दुनिया,
एक दिन ठहरे तो मेहमान बुरा लगता है।
चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की हैं
खबर ये आसमाँ के अखबार की हैं
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवां चले
बात गुरुर की नहीं……ऐतबार की हैं..||
राहे रूकती हैं जब, ज़िन्दगी झुकती हैं तब
सर झुकता है जब, वक़्त रुकता हैं तब
जमाना हसंता हैं जब, सांसें रूकती हैं तब
बाहे दुखती हैं जब, हिम्मत रूकती हैं तब
शरीर खंजर सा हो जाता हैं, आत्मा बंजर सी हो जाती हैं
ना जाने क्यों ये ज़िन्दगी सिमट कर रह जाती हैं |
~ Suraj Yadav
मझधार से वापस मुड़ना काफी मुश्किल होता है
तो किसी का बिखर कर जुड़ना काफी मुश्किल होता है
घाव तो बहुत आसानी से भर जाते है, लेकिन…
फिर से बेख़ौफ़ गगन में उड़ना काफी मुश्किल होता है|
~ सुधांशु रावत
1) Jaha himmat samapt hoti hain,
Wahi haar ki shuruaat hoti hain
2) Kisi ko harana bahut aasan hain lekin,
Kisi ko jeetana bahut kathin hota hain
3) Kathin Samaye mein samajdar aadmi,
Rasta khojta h or kayar aadmi bahana
कीचड़ में पैर फंस जाये तो
नल के पास जाना चाहिए,
मगर नल को देखकर
कीचड़ में नही जाना चाहिए !
इसी प्रकार..
जिन्दगी में बुरा समय आ जाये
तो पैसों का उपयोग करना चाहिए,
मगर पैसों को देखकर
बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए !!
धुप हैं किस्मत में लेकिन,
छाया भी कही तो होगी
जहाँ मंजिले होगी अपनी
कोई तो ऐसी ज़मीं होगी
जिस रोज पैदा होते हैं हम
उस रोज बहुत खुशियां मनाई जाती है
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक
सपनो की एक दुनिया सजाई जाती है
खुशी और ग़म की आँखों से
ज़िन्दगी की तस्वीर दिखाई जाती है
जिस रोज मरते हैं हम
उस रोज हमारी खूबियां बताई जाती है ।
Jis roz peda hote hai hum
Us roz bahut khusiya manayi jati h
Bachpan se lekar budape tak
Sapno ki ek duniya sajayi jati hain
Khushi aur ghum ki aankho se
Zindagi ki tasveer dikhayi jati hai
Jis roz martey hain hum
Us roz humari khubiya batayi jati h
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