ज़िंदगी में रंग और उमंग होना चाहिए,
एक सच्चा हमसफर भी संग होना चाहिए
माता पिता, गुरुओं का आशीष बना रहे,
ज़िंदगी जीने का नया ढ़ंग होना चाहिए।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
काले गरजते बादलों को धुआँ समझा हैं
मैंने आँधियों को भी हवा समझा हैं…
गिले शिकवे की मुराद हैं उन्हें हमसे
अब क्या बताए हमने दर्द को तो अपनी मेहबूबा समझा हैं
भरा दिल तोड़े कोई और वजह कोई
किसी को कितना कोसे अब हमने खुद को बेवफा समझा हैं
कई आए इस जलती शमा को बुझाने
यूँ ही बुझा जाए, क्या हलवा समझा हैं
~ Kshitij Muktikar
इन नसीहतों में मज़ा क्या है,
इन इनायतों में रखा क्या है,
जो मौलवी बने बैठे हैं यहाँ,
इनसे पूँछों इन्होंने करा क्या है।
भले आदमी का निशान क्या है,
असल नवाज़िश ए करम क्या है,
क्यों डरे भला क़यामत से इतना,
दर्द से निजात नहीं तो मौत क्या है,
इन तालिमों की वजह क्या है,
ए खुदा तेरी रज़ा क्या है,
हाँ मैं करता हूँ सवाल बोलो,
इन ग्रंथों में मेरी सज़ा क्या है।
~ Shubham Jain
इंसानो का इंसानो से इंसानियत का वास्ता ही कुछ और है,
हर एक इंसान का इस दुनिया में रास्ता ही कुछ और है,
मूर्खो से मूर्खो की बाते मूर्खो को समझ न आयी
एक मुर्ख खुसिया के बोला क्या तू समझा मेरे भाई?
अन्धो से अन्धो का तो अजीब ही नाता है,
हर अँधा दूसरे अंधे के नैनो की गहराही में खो जाता है !
ऐसे इस घमासान में बेहरे भी कुछ कम नहीं इतराते ,
समझे सुने मुमकिन नहीं पर गर्दन जरूर हिलाते।
गूंगे न जाने शब्दों से रिश्ता कैसे निभाते है,
केवल होठों को मिटमिट्याते हुए कैसे वे बतियाते है?
कर से अपंग भी लालसा में झूल जाते है,
हाय रे ये आलसी जानवर बिस्तर न छोड़ पाते है!
सयाने इतराते कहते लंगड़े घोड़े पर डाव नहीं लगाते,
और दूसरे ही मौके पर दुसरो के तरक्की में रोड़ा अडकते।
किस्मत के मारो का तो क्या कहना, ये दिमाग से पैदल होते है,
सामर्थ्यवान इस देश की उपज है मानो सारा कुछ यही सहते है।
इससे तो अच्छा सचमें इनके आँख, कान, जबान, पैर और हाथ न होते,
दिमाग तो फिर भी ठीक था पर दिल को मन में संजोते,
ऐसे इस इंसान का फिर भी जग में उद्धार जरूर होता,
इंसान फिर इंसानियत से कभी वास्ता न खोता।
~ Aashish Jain
ज़िन्दगी ….!!!!!
यहां खुशियों का दरबार भी है,
और दुःख का इज़हार भी….!
यहां मुस्कराहट का मौका भी है,
और आंसुओं की वजह भी….!
यहां दिलों में जन्नत है,
पर वक़्त के दरमियान जहन्नम भी….!!!
यहां मुस्कराहट का मौका भी है,
और आंसुओं की वजह भी….!
ये है बड़ी प्यारी,
पर लोगों के नज़र की मोहताज भी….!
की जिसके नज़रों को खूबसूरत लगे,
उसके लिए जन्नत भी, मुस्कुराने की वजह भी…!
और जिसके नज़रों को बेदर्द लगे,
उसके लिए जहन्नुम भी, आंसुओं की वजह भी…!
ये है ज़िन्दगी…….
~ अलीशा अहमद