दिल में अलग सा ये शोर क्यों हैं
उलझी तेरे मेरे रिश्तो की डोर क्यों है
जरा गौर से देख तो सही तेरे हाथो में
मेरे प्यार की छोटी सी लकीर हैं
फिर तेरी उम्मीद इतनी कमजोर क्यों है
जब भी पलके बंद की हैं मेने
बस तेरा ही खयाल आया है ख्वाबो में
जरा सोच तो सही मुझ पर सिर्फ तेरा ही सरूर क्यों है
जब भी नजरें मिलायी हैं तुजसे तेरी नजर झुकी ही रही
तू इश्क़ नहीं करती मुझसे
तो तेरी आँखें चोर क्यों है
तेरे इश्क़ की गहरायी और मेरे इश्क़ की तन्हाई
बस तेरे लबो में अरसो से कैद हैं
तो फिर तू इज़हार-ए-इश्क़ से दूर क्यों है
Likhe ne wale ko bahut bahut sukriya
Kya khub likha h
veri nice akshu
Wah, kiya baat kiya baat kiya baat…….
Grt line
Excellent
बहुत खूब
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Nice
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