0मै डरा नहीं हूँ Posted on June 15, 2021 by techiशज़र से टूट कर गिरा हूँ मै ख़फ़ा हूँ, निराश हूँ, मगर मरा नहीं हूँ मै डर तो दिखाया बहुत था, पत्थर का हूँ मै डरा नहीं हूँ सितम ये सारे दिल हसके सहेगा जमाना जमात है बेशर्मो की, यूँ ही कहेगा ~ Kapil Beragi Share ThisRelated posts:कुछ जख़्म कभी नहीं भरते मेरी मजबूरी को समझो मैं गुनाहगार नहीं अब जीने में वो बचपन वाली बात नहीं शेर पर कविता | शेर घायल है मगर दहाड़ना नहीं भूला खुशियों का चांद, अब खिलता नहीं जिस्म नहीं रूह को चाहा हैं अब दिल को दर्द भी नहीं होता