0 घर के बुजुर्ग, त्यौहार और प्यार Posted on March 30, 2021 by techi नफ़रतें छोड़कर मन से, प्रेम के गीत हम गाएं। आपसी बैर को भूलें, अपनों से भी मिल आएं। सभी त्योहार बतलाते, सदा प्रेम से रहना। सभी घर के बुज़ुर्गों को, कभी मन से न बिसराएं। ~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’ Share This Related posts: प्यार के गीत गाते रहो | जोश और उमंग से भरी कविता दिल को छूने वाली लाइन्स घर के बड़े और बुज़ुर्गों पर प्यार भी है और तकरार भी मां, भगवान का अवतार प्यार की राहों पर चलना आ गया निःस्वार्थ प्रेम और सच्चे रिश्तों का सिलसिला यह सच्चा प्रेम है, कोई बेवफ़ाई नहीं