माया बोली मोदी से, होली कैसे खेलूँ रे तेरे संग
बुरी तरह से हार गई इस चुनाव की जंग
हाथी मेरा सो गया था, पीली थी उसने भंग
होली कैसे खेलु रे मोदी तेरे संग
मोदी ने घोला केसरिया, माया ने नीला रंग
नीला रंग चढ़ न सका जनता पर
मै देख कर हो गयी बहुत दंग
होली कैसे खेलूँ रे मोदी तेरे संग
भर भर पिचकारी तूने ऐसी मारी
मेरी चोली हो गयी थी तंग
गीले सारे मेरे वस्त्र हो गए
चमक रहे थे मेरे सारे अंग
होली कैसे खेलूँ रे मोदी तेरे संग
अखिलेश बबुआ मोदी से बोला
हुई करारी हार मेरी साईकिल खा गयी थी जंग
बची खुची कसर राहुल ने पूरी कर दी
जब से मिला था उसका संग
होली कैसे खेलु रे मोदी तेरे संग
साईकिल मेरे पंचर हो गयी थी
बैठी थी दो सवारी भारी
इतना बोझ कैसे संभाले
अक्ल गयी थी मेरी मारी
परिवार भी सहारा न दे सका
उससे भी हो गयी थी जंग
होली कैसे खेलूँ रे मोदी तेरे संग
~ आर के रस्तोगी
Dard shayari
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