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महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय

हमारे भारत देश की भूमि को संतो,वीरों और समाज सुधारकों की भूमि कहा जाता हैं। जहाँ कई ऐसे महान व्यक्तियों ने जन्म लिया हैं जिन्होंने ने अपना पूरा जीवन पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ समाज सुधारक के रूप में व्यतीत कर दिया। उन्ही महान व्यक्तियों में से एक हैं महात्मा ज्योति राव फुले। जिनका परिचय हम इस आर्टिकल के माध्यम से करवाने वाले हैं तो आइये जानतें हैं कौन हैं महात्मा ज्योतिराव फुले।

महात्मा ज्योतिराव फुले एक भारतीय समाज सुधारक,समाज सेवी, विचारक,दार्शनिक, लेखक और क्रांतिकारी थे। ज्योतिबा अपने कार्य के प्रति बहुत कर्मशील और सच्चे समाज सेवी थे। ज्योतिबा फुले बाल विवाह के खिलाफ थे साथ ही विधवा विवाह के समर्थक भी थे।

Jyotiba Phule Introduction in Hindi

 

ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय – (संक्षिप्त परिचय) Mahatma Jyotiba Phule Biography In Hindi – ( Short Introduction)

पूरा नाम (Full Name)ज्योतिराव गोविंदराव फुले ( Jyoti Rao Govind Rao Phule)
अन्य नाम (Other Names)महात्मा फुले,ज्योतिबा फुले ( Mahatma Phule,Jyotiba Phule)
जन्म (Date of Birth)11 अप्रैल 1827 (11 April 1827)
मृत्यु (Date of Death)28 नवम्बर 1890 (28 Nov.1890)
जन्म स्थान (Birth Place)पुणे, महाराष्ट्र ( Pune,Maharastra)
पिता का नाम (Father Name)गोविंदराव फुले ( Govind Rao Phule)
माता का नाम (Mother Name)चिमनाबाई बाई ( Chimna Bai)
पत्नी का नाम (Wife name)सावित्रीबाई फुले (savitri Bai Phule)
उपाधि ( Degree)महात्मा (Mahatma)
पेशा (Profession)समाज सेवक, दार्शनिक ( Social Worker,Philosopher)
भाषा (Language)मराठी (Marathi)
  • जन्म व प्रारंभिक जीवन ( Birth & Early Life ) –

इनका पूरा नाम महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले था। इन्हें महात्मा फुले एवं ज्योतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 ई. में पुणे में हुआ था। इनकी माता का नाम चिमनाबाई और पिता का नाम गोविंदराव था। एक वर्ष की अवस्था में ही इनकी माता का देहान्त हो गया इसलिए इनका पालन – पोषण एक बाई के द्वारा किया गया और उनके पिता ने उनकी देखभाल की।

 

  •  शिक्षा और वैवाहिक जीवन ( Education & Married Life) –

ज्योतिबा बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली और बुद्धिमान छात्र थे। उन्होंने मराठी भाषा में अध्ययन किया लोग उनकी बातों से बहुत प्रभावित होते थे। फुले का दाखिला स्काटिश मिशनरी हाईस्कूल (पुणे) में हुआ यहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की उसके पश्चात इनकी पढ़ाई छूट गई फिर यह 21 वर्ष की आयु में अंग्रेजी के सातवीं कक्षा की पढ़ाई को पूर्ण किया।

ज्योतिबा फुले का विवाह 1840 में सावित्रीबाई के साथ हुआ। उनकी पत्नी सावित्रीबाई भी एक बहुत ही प्रसिद्ध समाज सेविका थी। दोनों पति पत्नी ने दलित एवं महिलाओं को शिक्षित करने के लिए कई सारे कार्य एवं आंदोलन किये।

 

  • विद्यालय की स्थापना ( Establishment Of School) –

स्त्रियों को शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से उन्होंने सन 1848 में एक विद्यालय की स्थापना की। यह शिक्षा प्राप्त करने के लिए देश का पहला विद्यालय था। लड़कियों को पढ़ाने के लिए उनके साथ उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी योगदान दिया। स्त्री शिक्षा और उनकी दशा सुधारने के क्षेत्र में यह पहला कदम था। कुछ लोगों ने उनके इस कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया लेकिन वे आगे बढ़ते गए और उन्होंने तीन और नए विद्यालयों की स्थापना की। इस तरह के दबाव के बावजूद भी वो अपने लक्ष्य से नहीं भटके और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ लड़ते रहे और इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाते रहे।

 

  • सामाजिक कार्य में योगदान ( Contribution in Social Work) –

उन्होंने महिलाओं और विधवा स्त्रियों के लिए बहुत कार्य किये इसके साथ ही किसानों और समाज के कल्याण के लिए भी कई कार्य किये। महात्मा ज्योतिबा फुले को 19वी. सदी का प्रमुख समाज सेवक माना जाता है। उन्होंने भारतीय समाज में फैली अनेक कुरूतियों को दूर करने के लिए संघर्ष किया। नारी-शिक्षा, विधवा विवाह और किसानो के हित के लिए ज्योतिबा ने उल्लेखनीय कार्य किया है। महात्मा ज्योति राव फुले ने कई सारे सामाजिक आंदोलन भी किये जिसके कारण महाराष्ट्र को एक नई दिशा मिली। ज्योतिबा ने अपना सम्पूर्ण जीवन दलितों की सेवा करने में बिता दिया। इनका सबसे पहला और महत्वपूर्ण कार्य महिलाओं की शिक्षा के लिये था और इनकी पत्नी ने इस कार्य में पूरे जीवन भर उनका साथ दिया।

 

  • महात्मा की उपाधि  ( Degree of Mahatma) –

24 सितंबर 1873 ईo को इन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। जिसका उद्देश्य दलित लोगों को न्याय दिलाना और उनको शिक्षा के प्रति जागरूक करना था। दलितों और निर्बल को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ‘सत्यशोधक समाज’ स्थापित किया। मानवता की भलाई के लिए किये गए ज्योतिबा के इन निस्वार्थ कार्यों के कारण उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। वे लोकमान्य के प्रशंसकों में थे।

 

ज्योतिबा फुले द्वारा लिखी गई पुस्तक ( Books Written By Jyotiba Phule) –

ज्योतिबा प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। ये बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने कई सारी पुस्तकें भी लिखी जिनमे से कुछ निम्न हैं –

  • किसान का कोड़ा (1883)
  • तृतीय रत्न (1885)
  • अछूतों की कैफियत (1885)
  • क्षत्रपति शिवाजी (1869)
  • गुलामगिरी (1873)

 

  • ज्योतिराव फुले के बारे में रोचक तथ्य ( Interesting Facts About Jyotirao Phule)

1) 13 वर्ष की आयु में सावित्रीबाई से इनका विवाह हुआ।

2) उन्होंने रात्रिकालीन विद्यालयों की भी स्थापना की।

3) ज्योतिबा ने विद्यालय के अलावा पुस्तकालय की स्थापना की।

4) ज्योतिबा फुले ने शिक्षा के अलावा विधवा विवाह और विधवाओं के लिए आश्रम के साथ नवजात शिशुओं के लिए आश्रम और कन्या भ्रूण हत्या पर रोक के लिए भी प्रयास किया।

 

  • महात्मा ज्योतिराव फुले के अनमोल विचार ( Mahatma Jyotirao Phule Quotes ) –

1) ईश्वर एक है और वही सबका कर्ता-धर्ता है।

2) परमेश्वर एक है और सभी मानव उसकी संतान हैं।

3) शिक्षा स्त्री और पुरुष की प्राथमिक आवश्यकता है।

 

  • मृत्यु ( Death) –

मृत्यु ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई।

 

महात्मा ज्योतिबा फुले का मानना था की समाज सेवा और मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं हैं यही ईश्वर की सच्ची सेवा है। एक देश की उन्नति तभी संभव हैं जब मन से ऊंच नीच के भेदभाव को मिटाया जाये और सभी को समान रूप से अधिकार मिले। महात्मा ज्योतिराव फुले द्वारा किये गए कार्य प्रेरणा दायक हैं। हम भी उनके जीवन से प्रेरणा लेकर सामाजिक बुराइयों को दूर करके एक सुन्दर और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकतें हैं और अपने लक्ष्य से कभी भी विचलित नहीं होकर पूरे समर्पण के साथ अपने कार्य को करने का प्रयास करना चाहिए और उनके अनमोल विचारों को जीवन में अपनाकर भविष्य में आगे बढ़ सकतें हैं।

 

 


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