हमेशा जो खुद को सजाये रखते हैं
अंदर और ही हुलिया बनाये रखते हैं
पत्थर आँखें ही दिखाई देती हैं, और
दिल में एक दरया सा रुकाये रखते हैं
जब कोई आशिक़ अपने प्रेमी को पा नहीं पाता हैं, तब कुछ ऐसी पंक्तिया निकलती है| ऐसे ही इस कविता में एक लवर अपने पार्टनर से दूर हो चूका हैं, और अब उसने अपने आपको समझा भी लिया हैं, और कोई शिकवा भी उससे नहीं हैं| पर सच्चा प्यार हमेशा अपने प्रेमी के लौटने की आस में रहता है| बस यही कुछ दिल से निकली प्यार भरी लाइन्स एक प्रेमी की याद में आपके सामने प्रस्तुत हैं|
रंजिश क्या करे हम उनसे
ये अपना दिल है जो उनका हो चला
उनको पाने की ज़ुस्तजु में
मैं अपना वजूद ही खो चला
शिखवा नहीं कुछ उनसे
वो शायद मेरी तक़दीर ना थे
समझने में हमने गलती की
वो उन ख़्वाबों के ताबीर ना थे
संभाल लिया हैं खुद को
पर ये आँखें परेशान करती है
जो उनकी तस्वीर को लिए
बड़ी शिददत से उनका इंतजार करती हैं
रात भर रोती रही वो आँखें,
जाने किसकी याद में जागती रही वो आँखें।
अश्को की अब क्या कीमत लगायी जाये
की हर आंसू के गिरते,
किसी को पुकारती रही वो आँखें।
पलकों पे तस्वीर लिए मेहबूब का,
तरसती रही वो आँखें।
कहना चाहा बहुत कुछ,
पर खामोश रही वो आँखें।
उन आँखों को चाहिए था दीदार अपने मेहबूब का
जो रूठ के चला गया हैं कही दूर,
उसके लौट आने की राह तख्ती रही वो आँखें..।।
समंदर से भी गहरी है,
मेरे यार की आँखें….!!
नदियों से भी लहरी है,
मेरे दिलदार की आँखे,
खो जाता हूँ इन नैन में,
जो फूल सी सुन्दर है
मेरे प्यार की आँखे..!!
कभी उठता हूँ, कभी गिरता हूँ
जाम से भी नशीली है,
मेरे जाने बहार की आँखे.
जल जाता हूँ इन बहारों में,
ज्वाला मुखी से भी तेज़ है,
मेरे दिलबहार की आँखे….!
डूब जाता हूँ इन नज़रों मैं,
ऐसी है मेरे तलबदार की आँखे