0

Today’s Youth Life Reality | Sad But Truth

Milo Ka Safar Kar Rahe Hai
या वहीं खड़े हैं….. पता नहीं

Palke Jhukake Baithe Hai
या दौड रहें हैं कुछ पाने को… पता नहीं

So To Rahe Hai Har Roj
लेकिन क्या नींद आ रही है… पता नहीं

Bahar Se Dekho To Chamak Rahe Hai
लेकिन अंदर के अंधेरे की गहराई का… पता नहीं

Chehro Pe Hasi Fuhar Hai
लेकिन दिल किस कदर उदास है… पता नहीं

Kaam To Kar Rahe Hai Magar
खोए खोए से रहते हैं क्यौं….. पता नहीं

 

~ Gaurav Baldwa

 

Share This
0

अधूरा जीवन ~ Heart Touching Deep Lines

Adhura Jeevan Sad Hindi Poem

 

 

ज़िन्दगी को पूरी तरह से जीने की कला,
भला किसे अच्छे से आती हैं……
कही ना कहीं ज़िन्दगी में,
हर किसी के कोई कमी तो रह जाती हैं….

 

प्यार का गीत गुनगुनाता हैं हर कोई,
दिल की आवाज़ों का तराना सुनाता हैं हर कोई,
आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई,
फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यों नहीं नजर आती हैं…
पूरा प्यार पाने में कुछ तो कमी रह जाती हैं….
हर किसी की ज़िन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती हैं….

 

दिल से जब निकलती हैं कविता…
पूरी ही नजर आती हैं ….
पर कागजों पर बिछते ही
वो क्यों अधूरी सी नजर आती हैं
शब्दों के जाल में भावनाएं उलझ सी जाती हैं
प्यार, किस्सें, कविता…ये सिर्फ दिल को ही तो बहलाती है
अपनी बात समझाने में तो कुछ तो कमी रह जाती हैं

 

हर किसी की निगाहें मुझे क्यों…….
किसी नयी चीज़ो को तलाशती नजर आती हैं
सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी क्यों रह जाती हैं
ज़िन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती हैं
सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है…..

 

~ रंजना

 

Share This
1

यहां हर एक का बदला हुआ रंग देखा

इश्क, दोस्ती, मतलब देखा…
इस जमाने मे हमने बहुत कुछ देखा…

लोग देखे लोगों का ढंग देखा…
यहां हर एक का बदला हुआ रंग देखा…

कही घाव, कही मरहम, कही दर्द देखा…
यहां अपनों के हाथ मे खंजर देखा…

कभी रात, कभी दिन देखा…
कही पत्थर का दिल, तो कही दिल पर पत्थर देखा…

कभी हकीकत, कभी बदलाव देखा…
यहां हर चेहरे पर दोहरा नकाब देखा…

चाहत, जिस्म, फिर धोखा देखा…
यहां मोहब्बत के नाम पर सिर्फ मौका देखा…

जीते-जी बस यही देखना बाकी था, अंश…
एक उसे भी, किसी और का होते देखा…

~ अंश

 

Share This
0

मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया था”?

चलती हुयी राह से गुमराह हो गया था
ज़िन्दगी को लेकर बेपरवाह हो गया था

मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया था”?

नींद से मेरा नाता टूट सा गया था
भूख प्यास से भी ये मन रूठ सा गया था

मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया था”?

अकेलेपन से मानो प्यार हो गया था
एक सच्ची ख़ुशी के लिए दिल लाचार हो गया था

मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया था”?

अपनों के बिच में अनजान हो गया था
बिना वजह आँखों में आंसू लाना बड़ा आसान हो गया था

मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया था”?

आत्मविश्वास तोह मानों,.. जैसे खो गया था
आँखें तो खुली थी, मगर आत्मा कबका सो गया था

मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया था”?

 

~ शैलजा

 

Share This
0

जाने वाले क्या कभी लौट कर भी आते हैं

जाने वाले क्या कभी लौट कर भी आते हैं
छोड़ गए थे जिसे क्या उसे वापस अपना बनाते हैं

जाने का मन तो वो बहुत पहले बनाते हैं
फिर क्यों किसी को बताकर नहीं जाते हैं

अपने ही घर से ये चोरों जैसा निकलना
भला उन्हें क्यों मुनासिब लगता है,
समझते क्यों नहीं यूं घर की लानतें भी साथ ले जाते हैं…
जाने से पहले वे मोहब्बत की जंजीर तोड़ क्यों नहीं देते हैं

नहीं दे सकते जो मोहब्बत का दाना पानी
तो प्रेम के पिंजड़े खोल क्यों नहीं देते हैं

अपनी शोहबत में जिसे करते थे रोशन
उसे जंगल के अंधेरे में अकेला छोड़ क्यों देते हैं…

क्यों अपना इंतजार मुल्तवी करके जाते हैं
लौट कर नहीं आना है ये सीधे क्यों नहीं बतलाते हैं

जब कर ही चुके होते हैं किसी और से दिलदारी गुफ्तगू
तब भी क्यों रखते हैं पहले सी जारी…
जो साथ निभाना नहीं आता तो क्यों झूठे कसमें वादे खाते हैं

अपनी आंखों से मासूम दिल पर खंजर क्योंकर चलाते हैं…
जाने से पहले वे अपने हुस्न को जो इतना सजाते हैं
अपने दिल का आईना क्यों नहीं चमकाते हैं…

घर के सारे साजो सामान जब अपने साथ ले जाते हैं
ले जाते हैं घर की रोशनी, हवा, खुशियां सारी
तो अपनी यादों को क्यों छोड़ जाते हैं

अपनी खुशबू को कोनों में बिखराकर उसे क्यों नहीं समेट जाते हैं…
अपनी जुदाई पर जो जीते जी मौत से अजीज कर देते हैं
पेट में छुरा भोंककर क्यों नहीं जाते हैं….

ये जाने वाले भी भला कहाँ लौटकर आते हैं
अपने तबस्सुम से महकाया था जिसे कभी
उसे लौटकर फिर गले लगाना तो दूर की बात
उसकी मौत पर दुआ करने भी वापस नहीं आते हैं

जाने वाले क्या कभी लौट कर भी आते हैं
छोड़ गए थे जिसे क्या उसे वापस अपना बनाते हैं

 

~ Nupoor Kumari

 

Share This
1

मैंने कोरोना का रोना देखा है

Corona ka Rona Sad But True Poem

 

मैंने कोरोना का रोना देखा है!
और उम्मीदों का खोना देखा है!!

 

लाचार मजदूरों को रोते देखा है!
गिरते पड़ते चलते और सोते देखा है!

 

पिता को सूनी आंखों से तड़पते देखा है!!
तो मां की गोद में बच्चे को मरते देखा है!

 

गरीबों का खुलेआम रोष देखा है!!
तो मध्यमवर्ग का मौन आक्रोश देखा है!

 

पीएम केयर के लिए भीख की शैली देखी है!
तो उसी पैसे से वर्चुअल रैली देखी है!!

 

गरीबों को अस्पतालों में लुटते देखा है! !
तो निर्दोषों को बेवजह पिटते देखा है!

 

अल्लाह भगवान की दुकानों का बंद भी होना देखा है!
तो रोना रोती सरकारों का अंत भी होना देखा है!!

~ Dr. Anita

 

Share This
2

ज़िन्दगी का दूसरा नाम इम्तिहान

कहते हैं ज़िन्दगी का दूसरा नाम इम्तिहान हैं
पर क्यूँ, हर इम्तिहान में कोई न कोई क़ुर्बान हैं

अक्सर टूटे सपनो से बिखर जाया करते है वो लोग…
जो भी यहां जीवन के सच से रहते अनजान है

अब सपने संजोने वाली उन आखों का क्या कसूर
नादान दिल की वो तो बस एक छवि, एक पहचान है

ज़िन्दगी समझते हैं कुछ लोग चंद पलों को
इश्क़ में कहाँ रहता ज़मीन पर कोई इंसान है

जब मिलती है सजा ज़िन्दगी में, किसी से दिल लगाने की,
लगे बोझ खुदा का वो तोहफा, जिसका नाम जान है

ज़िन्दगी कितना भी दे गम, हंस के जी लो यारों
मौत भी आज तक कहाँ हुयी किसी पे मेहरबान है

जीवन सुख दुःख का एक घूमता चक्र है
जो ना समझा ये, वो नादान है, वो नादान है

Share This
0

ज़माने ने मुझे चोट दी है – दुःख व् गहराई भरी कविता

चले हैं लोग मैं रस्ता हुआ हूं
मुद्दत से यहीं ठहरा हुआ हूं

ज़माने ने मुझे जब चोट दी है
मैं जिंदा था नहीं जिंदा हुआ हूं

मैं पहले से कभी ऐसा नहीं था
मैं तुमको देखकर प्यारा हुआ हूं

मैं कागज सा न फट जाऊं
ए लोगो उठाओ ना मुझे भीगा हुआ हूं

मेरी तस्वीर अपने साथ लेना
अभी हालात से सहमा हुआ हूं

कभी आओ इधर मुझको समेटो
मैं तिनकों सा कहीं बिखरा हुआ हूं

चलो अब पूछना तारों की बातें
अभी मैं आसमां सारा हुआ हूं

मुसलसल बात तेरी याद आई गया
वो वक़्त मैं उलझा हुआ हूं

बुरा कोई नहीं होता जन्म से
मुझे ही देख लो कैसा हुआ हूं

ज़माने ने मुझे जितना कुरेदा
मैं उतना और भी गहरा हुआ हूं

~ सुरेश सांगवान (saru)

Share This
1

मेहबूब की याद में रोती हुयी आँखों पर शायरी

रात भर रोती रही वो आँखें,
जाने किसकी याद में जागती रही वो आँखें।

अश्को की अब क्या कीमत लगायी जाये
की हर आंसू के गिरते,
किसी को पुकारती रही वो आँखें।

पलकों पे तस्वीर लिए मेहबूब का,
तरसती रही वो आँखें।

कहना चाहा बहुत कुछ,
पर खामोश रही वो आँखें।

उन आँखों को चाहिए था दीदार अपने मेहबूब का
जो रूठ के चला गया हैं कही दूर,
उसके लौट आने की राह तख्ती रही वो आँखें..।।

Share This

Dard Bhari Sad Alone Boy Poetry

जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले
दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले

आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था
आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले

शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह
आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले

फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी
काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले

इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई
ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले

Share This