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Radha-Shayam, Kanha-Gopiya Love Poem in Hindi

कान्हा ना छेड़ो मुझे यूँ भोले बनकर
मैं जानू भेद छिपा तोरे जो अंदर

छोरो ना मोरो मेरी, गोरी नाजुक कलाइयां
खन खन खनके जाये, मोरी सब चूड़ियां

नटखट तू इतना जाने, सब ब्रिज की गोपियाँ
फिर भी रोक ना पाए, खुद को सारी छोरियां

बंसी की मधुर तान छेड़, तू मोहे सबको
क्या गोपी क्या सखी चाहे, मस्ती प्यारी सबको

घर द्वार छोड़ दौड़ी, चली आयी भोली सखियाँ,
सुध बुध खोयी ऐसे, सुन तेरी प्यार भरी बतिया

कहीं कोई कहे छोड़ो, ना सताओ मोरे कान्हा
मन ही मन प्रीत करे, सब तुझसे सुन कान्हा

राधा-श्याम जोड़ी कुछ, भाये ऐसे जग में
प्रीत की डोरी में बंधे, तेरे ही संग में…….

 

~ नन्दबहु

 

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तु मेरे रब की तरह

देख के तुझे कितना सुकून मुझे मिलता है
ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

हैं तु क्या चीज,
ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

हैं तेरा क्या वजूद इस जहा में
ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

भले ही कुछ ना हो तु ,
दुनिया की नजरों मे
क्या है तेरा वजूद,
ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

सिखा है मैंने तुझसे बहुत कुछ,
क्या है तु ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

दिया है तुने मुझे कितना,
क्या है तेरे पास ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

हैं तेरा ही अहसास इस दिल को,
प्यार हैं या कुछ ओर ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

समायी है तु मेरी हर ख्वाईशों में,
हैं तु मेरे रब की तरह,
ये सिर्फ मैं जानता हूँ।

 

~ स्वामी गंगानिया

 

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एक दोस्त ऐसा भी हो, जो सिर्फ मेरा हो

एक दोस्त ऐसा भी हो,
जो सिर्फ मेरा हो…
मैं रोऊ तो मुझे हँसाए,
मैं रूठू तो मुझे मनाए,

 

मेरे हर एक दुख में मेरे साथ हो,
मेरी हर एक खुशी में मेरे साथ हो,
मेरे बिन बोले मेरी बात समझे,
मेरे बिन बोले मेरे दर्द को महसूस करें।

 

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,
जो मेरी हंसी के पीछे छिपे दर्द को पहचान ले,
जो मेरे गिरने से पहले
मेरा हाथ थाम ले, मुझे संभाल ले।

 

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,
जो जिंदगी की कठिन राह पर,
मेरा मार्गदर्शक बने।
जो दुनिया की भीड़ में,
मुझे तन्हा न छोड़े।
जो अंधेरे में मेरी रोशनी बने,
हां एक दोस्त ऐसा भी हो।

 

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,
जिसका साथ पाकर मैं
हर गम भूल जाऊं,
जो मेरे साथ चले तो लगे,
जैसे कि मेरी ही परछाई।

 

एक दोस्त ऐसा भी हो,
जो मुझे खोने से डरे,
जिसे मेरी कमी महसूस हो,
जब मैं उसके साथ ना हूँ तो,
हां एक दोस्त ऐसा भी हो,
जो मुझसे कभी नाराज ना हो।
हां एक दोस्त ऐसा भी हो,
जो सिर्फ मेरा हो, सिर्फ मेरा।

 

~ ऋचा गर्ग

 

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तेरी एक झलक मिल जाए अगर

हर रोज अगर चाँद नजर आने लग जाएँ |
जितने रोजेदार हैं सब ईद मनाने लग जाएँ |

हम अपने दीयों को बुझाना पसंद करेंगे,
आप जैसी आंधियां गर उसको बुझाने लग जाएँ |

तेरी एक झलक मिल जाए अगर हमको,
हम तो हर शाम छत पर आने लग जाएँ |

खुदा करे उस दिन जल्द सुबह न हो,
जिस रात वो मेरे ख्वाब में आने लग जाएँ |

फिर तो मयखाने जाने की जरूरत न पड़े,
गर आप अपनी नजरों से पिलाने लग जाएँ |

खुदा कसम तुम तब याद आते हो बहोत,
जब कभी हम तुमको भुलाने लग जाएँ |

यूँ तो आसान बहुत है शायर होना,
पर एक शेर कहने में तुमको जमाने लग जाएँ |

 

~ अब्दुल रहमान अंसारी (रहमान काका)

 

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मुझे अजनबी से प्यार हो गया

मुझे अजनबी से प्यार हो गया
हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया

 

जिसके बारे में कल तक अनजान था
आज वो मेरा सब कुछ हो गया
हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।

 

कुछ तो बात है तुझमें
जो मुझे तेरे तरफ़ खींचता चला गया
तेरी अच्छाईयां बुराईयां
सब मुझे भाता चला गया
हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।

 

वो कहती थी कभी मोहब्बत नहीं करेगी किसी से
मैंने उसे मोहब्बत करना फिर से सीखा दिया
रूठे हुए दिल को हसना सीखा दिया
हाँ मुझे अजनबी से प्यार हो गया ।।

 

~ Anuj Kumar

 

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नज़रें चुरा रहा हूँ मैं

तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब,
दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…

तुझे खबर लगे देखने की तुझको,
इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…

तेरे सामने दिल बदमाश बन जाता हैं बेवक्त,
इसे इंतज़ार की तस्सली देकर ही सुधार रहा हूँ मैं…

ये कैसी ख़ता तुझसे इश्क़ करने की,
इस ख़ता को खुद ही सबसे बता रहा हूँ मैं…

जिन्हें शक हैं हमारे रिश्ते को लेकर,
उन कमबख्तों का हर सवाल मिटा रहा हूँ मैं…

आसमां में देखा था मैंने कभी तुझे,
आज अपने संग जमीं पर उतार रहा हूँ मैं…

तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब,
दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…

तुझे खबर लगे देखने की तुझको,
इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…

 

~ Monu yadav

 

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यूँ तेरा मेरा साथ हो

यूँ तेरा मेरा साथ हो
बनारस का गंगा घाट हो
शाम के हसीन नज़ारे हो
चाँद भी साथ हमारे हो
प्रकृति की हवा सुहानी हो
पक्षियों की मधुर वाणी हो
तेरी मेरी अनकही कहानी हो
हाथों में निर्मल गंगा पानी हो
कुछ वादें तेरी जुबानी हो
कुछ कसमे मेरी जुबानी हो
घाटों पर रात का सन्नाटा हो
गंगा के लहरो की गूंज हो
वहाँ हम एक ज्योतिपुन्ज हो
ऐसी ही प्रेममयी हमारी कहानी हो
गंगा स्वयं साक्ष्य जिसकी निशानी हो

 

~ Pratiksha rai

 

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एहसास से भरी प्यार पर कविता

 

वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है

 

बेखयाली के लम्हों में,
यूँ ही तेरा खयाल आया जाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।

 

घिर जाऊं जो सावन की घटाओं से,
काश तेरे साथ होने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।

 

नींद ना आये जब रातों में,
तो तेरी तस्वीर देखकर मुस्कुराने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।

 

गर अधूरा से महसूस हो खुदमे,
तो तेरी दोस्ती निभाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।

 

गर रूठ जाऊं मैं कभी हालातों से,
तो तेरा मुझे कसकर गले लगाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।

 

रहते तो बहुत दूर हो हमसे,
पर पास ना होकर भी पास होने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।।

 

~ शायरों की टपरी

 

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1990 wala pyar | 90’s Love Shayari Poem

1990 Love 90's Shayari Poems

 

अपना इश्क़ 1990 वाला चाहता हूँ,

 

टेक्स्ट, कॉल से दूर,
ख़तों पर रहना चाहता हूँ,

 

ये बाबू शोना छोड़के,
उसे प्रेमिका कहना चाहता हूँ,

 

जब मिले हम अचानक से,
तो उसकी खुशी देखना चाहता हूँ ,

 

जब आये सुखाने कपड़े छत पर,
तो चोरी चोरी मिलना चाहता हूँ,

 

जो पापा और भाई के आने से डरती हो,
ऐसी मेहबूबा चाहता हूँ,

 

हॉं, मैं आज भी मोहब्बत
पुराने जमाने वाली चाहता हूँ ।

 

~ नितिन राजपूत

 

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मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता

मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता

बहते आँखों से आंसू, या लब खिलखिलाते
या दोनों के संगम का, एक साथ एहसास होता

करते ढेर सारी बातें, या चुप मुस्कुराते
चलते साथ साथ और हाथो में हाथ होता

रुकते फिर बहाने से, देखने को आखें
निगाहों ही निगाहों में, उमड़ता वो प्यार होता

बैठ कर कही, सीने से तेरे लग जाते
रुक जाए अब पल यही, ऐसा विचार होता

मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता

 

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