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वक्त भी बड़ी अजीब चीज़ है

ये वक्त भी बड़ी अजीब चीज़ है,
“एक पल खरीदने के लिए ना जाने खुद को कितनी बार बेचना पड़ता हैं,
और जब खरीददार नहीं मिलते, तो लोग निकम्मा समझने लगते है।”

 

~ अदिति अग्रवाल

 

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ज़िंदगी का सार हो तुम मां

गुलाब की तरह हो तुम मां! मेरे मन मंदिर में महकती हो।
ज़िंदगी का सार हो तुम मां! तुम्हीं दिल से मुझे समझती हो।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’

 

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गिराया जिसे अपनों ने

गिराया जिसे अपनों ने वो उठकर फिर क्या करता
परायों से जो लड़ा नहीं वो अपनों से क्या लड़ता

~ अतुल शर्मा

 


 

Giraya jise apno ne Wo uthkar fir kya karta
Parayo se jo lada nahi Wo Apno se kya ladta

~ Atul Sharma

 

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मां के आशीर्वाद का अहसास

जब कभी मेरा मन उदास होता है, तब तेरा चेहरा आसपास होता है।
तब मिलता है सुकून और विश्वास, मां! तेरे आशीर्वाद का अहसास होता है।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’

 

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प्यार भी है और तकरार भी

लोग अच्छे भी हैं यहाँ पर, गले लगाने की ज़रूरत है।
प्यार भी है और तकरार भी, सिर्फ़ मुस्कराने की ज़रूरत है।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’

 

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तुम्हीं मेरी ज़िंदगी हो ऐ प्रियतम

तेरा गर साथ मुझको मिल जाए, दिल की बगिया में फूल खिल जाए।
तुम्हीं मेरी ज़िंदगी हो ऐ प्रियतम, हमसफ़र प्यार तेरा मिल जाए।

 

~ जितेन्द्र मिश्र ‘बरसाने’

 

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