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माँ बाप के लिए बच्चो को सीख

दो घड़ी के लिए

दो घड़ी के लिए, बैठ जाया करो।
मां बाप के पास भी कभी आया करो।

 

दो घड़ी के लिए……..।।

 

कभी उंगली पकड़कर, चलना सिखाया था।
कभी उनको भी बाहर घुमाया करो।

 

दो घड़ी के लिए…….।।

 

प्यार के दो बोल, अनमोल हैं।
प्यार से कभी तुम, मनाया करो।

 

दो घड़ी के लिए……..।।

 

माना तुम पढ़ लिखकर, इंसान हो गए।
कभी तो इंसानियत, दिखाया करो।

 

दो घड़ी के लिए……..।।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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प्रेरणादायक शायरी अनुभव पर

हर कोई उड़ सकता है यदि मनुष्य ठान ले।
जो किताबों में लिख़ा है, ठीक से उसे मान ले।
तमाम लोगों ने भी, हौंसलों से उड़ान भरी है।
जिंदगी के कारवाँ में, अनुभवों से सब जान ले।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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दिल को छूने वाली लाइन्स घर के बड़े और बुज़ुर्गों पर

बुज़ुर्गों की कीमत समझो, वे अमूल्य होते हैं।
अनुभव तमाम जीवन के, उनके करीब होते हैं।
माना कि आजकल लोग, इनको तवज्ज़ो नहीं देते।
पर जिनके साथ रहते हैं ये, वे बड़े ख़ुशनसीब होते हैं।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

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मेरी मजबूरी को समझो मैं गुनाहगार नहीं

मेरी मजबूरी को समझो मैं गुनाहगार नहीं हूँ।
मैं सच्चाई के साथ हूँ, झूठ का पैरोकार नहीं हूँ।
भले ही तुम मेरी, मजबूरियां ना समझो।
मैं तुम्हारा साथी हूँ कोई अपराधियों का यार नहीं हूँ।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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कोरोना महामारी का बुरा दौर थम जाएगा

छतों पर पतंगों का, दौर फिर आएगा।
हर आदमी हंसेगा, और मुस्कुराएगा ।
आबाद होंगे गली, मोहल्ले चौराहे सब।
जब कोरोना महामारी का, बुरा दौर थम जाएगा।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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खेल सारा चमक धमक का

सपने भी देखे, और उन्हें सजाएं भी,
अपने भी देखे, और उनको अपना बनाएं भी।

सब दर्द पाल के, हसना सिखाया,
झुटे भी देखे और झुटलाए भी।

खेल सारा चमक धमक का था,
पैसे भी देखे और लुटाएं भी।

सब ने अपनी कहीं, रिश्ते नए बनाए,
धोखा हमे मिला, बादाम हमने खाए भी।

 

~ Vishal Gaikwad

 

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