रूठे हुए अपनों को मना लूंगा एक दिन
दिल का घर फिर से बसा लूंगा एक दिन
लगने लगे जहाँ से हर मंज़र मेरा मुझे
ख़्वाबों का वो जहान बना लूंगा एक दिन
अभी तो शुरुआत हुई है इस सफ़र की
बेरंग ज़िन्दगी में रंग सजा लूंगा एक दिन ।
भाई-बहिन के प्यार का प्रतीक है ये
स्नेह सुरक्षा सम्मान से प्रदीप्त है ये
रक्षाबंधन का त्यौहार साथ में रिमझिम फुहार
सावन के मौसम में देखो आई खुशियों की बौछार
भाई की कलाई सजेगी बहिन के प्यार से
बहिन का चेहरा खिलेगा भाई के उपहार से
कैसा पवित्र रिश्ता है, कैसा निर्मल नाता है
सबसे पावन पर्व ये, सबके मन को भाता है ।