मेरी फिक्र में खुद को भूल जाती हो
और बेखबर हो मुझ को ये जताती हो
होने लगती हो जिस पल दूर मुझसे
कसम से उस पल बहुत याद आती हो
चाहती हो कितना, पूछू जब कभी तो
आँखों ही आँखों में सब कुछ बताती हो
मोहब्बत में मेरी खुद को भुलाए बैठी हो
और दिल में अपने जज़्बात छुपाती हो ।
I love it
Sayri
मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है,
तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है,
भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ,
तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है।