1 क्या प्यार में सोचा था, क्या प्यार में पाया हैं Posted on September 12, 2019 by techi क्या प्यार में सोचा था, क्या प्यार में पाया हैं, तुझको मिलाने की चाहत में, खुद को मिटाया हैं, इस पर भी कोई इलज़ाम, ना तुझ पर लगाया हैं मेरी ही ख्वाईशो ने, आज मुझे अर्थी पर सुलाया हैं Share This Related posts: प्यार में फिर से पड़ने लगा हूँ तुमने ही हंसी दी थी, तुमने ही रुलाया हैं रंगो से भी सुन्दर, रिश्तो के प्यार की होली क्या हुनर हे तेरा पगली, दिल चुराने का वो मोहब्बत ही क्या जिसके काबिल ना बन सके मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता लोग प्यार के नाम पर करते हैं फरेब
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